Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi – शिव तांडव स्तोत्रम् का सम्पूर्ण हिंदी पाठशिव तांडव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram) रावण द्वारा रचित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है जो भगवान शिव की महिमा, सौंदर्य, शक्ति और तांडव स्वरूप का विस्तृत वर्णन करती है। Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शक्ति, साहस, मानसिक स्पष्टता और आत्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
Table of Contents
Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi – शिव तांडव स्तोत्रम्
धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम् ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम्॥13॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥
शिव तांडव स्तोत्र का महत्व
स्तोत्र की जानकारी – Shiv Tandav Stotram Details Table
शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव के तांडव स्वरूप की आराधना करता है। इसका उच्चारण एक विशेष लय और गति में किया जाता है जिससे ध्यान की अवस्था उत्पन्न होती है। यह स्तोत्र शिव भक्तों के लिए शक्ति, भय नाश, बाधा शमन और आत्मबल बढ़ाने का साधन है। Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi
विवरण | जानकारी |
---|---|
नाम | शिव तांडव स्तोत्रम् |
रचयिता | लंकाधिपति रावण |
भाषा | संस्कृत (हिंदी लिप्यंतरण में) |
समर्पित | भगवान शिव |
पंक्तियाँ | 17 श्लोक |
प्रयोग | शक्ति साधना, ध्यान, शिव उपासना, कष्ट निवारण हेतु |
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शिव तांडव स्तोत्र किसने लिखा?
यह रचना लंकाधिपति रावण द्वारा की गई थी।
इसका पाठ किस समय करना चाहिए?
प्रातःकाल या संध्याकाल में शांत वातावरण में इसका पाठ करना श्रेष्ठ है।
क्या यह स्तोत्र शक्तिशाली है?
हाँ, यह शिव भक्ति में सबसे अधिक प्रभावशाली और ऊर्जावान स्तोत्रों में से एक है।