Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप 

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Lalitha sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप , श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली संस्कृत स्तोत्र है जिसमें देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी के एक हजार पवित्र नामों का उल्लेख है। यह स्तोत्र ब्रह्माण्ड पुराण से लिया गया है और हयग्रीव ऋषि द्वारा अगस्त्य मुनि को उपदेशित किया गया था। श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् हिंदी में अर्थ सहित |

इस स्तोत्र का पाठ साधक को आत्मिक शुद्धि, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करता है। यह शक्ति उपासना का एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है जो विशेष रूप से नवरात्रि और देवी पूजन के अवसर पर पढ़ा जाता है।

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (भाग 1) | Lalitha Sahasranama with Hindi Meanings

श्री ललिता सहस्रनाम – संस्कृत में नाम और हिंदी में अर्थ:

  1. श्री माताः – दिव्य माता
  2. श्री महाराज्ञी – महान रानी
  3. श्रीमत् सिम्हासनेश्वरी – सिंहासन पर विराजमान देवी
  4. चिदग्नि कुण्ड सम्भूता – चैतन्य अग्नि से उत्पन्न
  5. देवकार्य समन्यताः – देवताओं के कार्यों को पूर्ण करने वाली
  6. उद्यद्भानु सहस्राभा – हजारों सूर्यों के समान तेजस्वी
  7. चतु:षष्ठि कलामयी – 64 कलाओं से युक्त
  8. महाचतु:षष्ठि कोटि योगिनी गण सेविता – 64 करोड़ योगिनियों द्वारा सेवित
  9. मन्त्रिण्यंबा विरचित – मन्त्रिणी देवी द्वारा रचित
  10. विशेष राजपीठस्थिता – विशेष राजसिंहासन पर विराजित
  11. चिन्तामणि गृहान्तस्थाः – चिंतामणि महल में निवास करने वाली
  12. पञ्चब्रह्मासनास्थिता – पंच ब्रह्मों के आसन पर स्थित
  13. महापद्माटवी संस्थाः – महापद्म वन में निवास करने वाली
  14. कदम्ब वनवासिनी – कदम्ब वन में वास करने वाली
  15. सुधासागर मध्यस्थाः – अमृत समुद्र के मध्य में स्थित
  16. कामाक्षी कामदायिनी – कामना पूर्ण करने वाली कामाक्षी
  17. देवर्षि गणसंघात स्तूयमानात्म वैभवाः – देवताओं और ऋषियों द्वारा स्तुति की जाने वाली
  18. भण्डासुर वधोद्युक्त शक्तिसेना समन्विताः – भण्डासुर के वध हेतु शक्ति सेना से युक्त
  19. सम्स्कृत सम्प्रदायुक्ताः – संस्कारों से युक्त
  20. सच्चिनान्द घनारूपाः – सच्चिदानंद स्वरूप वाली
  21. लास्य रम्या – लास्य नृत्य में रमणीय
  22. लवण्य शालिनी – सुंदरता से परिपूर्ण
  23. काञ्चनद्रव्या विमाना स्थाः – स्वर्ण विमान में निवास करने वाली
  24. रक्तारक्ताक्षि रूपिणी – रक्त वर्ण की आँखों वाली
  25. चामुण्डा – चामुण्डा देवी
  26. चण्डिका – क्रोध रूपिणी देवी
  27. सावित्र्याद्यष्ट स्वरूपिणी – सावित्री आदि आठ रूपों में स्थित
  28. कुलामृतैक रसनाः – कुलामृत की एकमात्र आस्वादक
  29. कौला सन्धान कौतुकाः – कौला मार्ग में कुशल
  30. सामरसायन तत्त्वर्थाः – सामरसायन तत्व में स्थित

श्री ललिता सहस्रनाम – नाम 31 से 60 तक:

  1. सच्चिदानन्द रूपिणी – सच्चिदानंद स्वरूप वाली
  2. देश काल परेचित्ता – देश और काल से परे चेतना वाली
  3. पञ्चकॊशान्तरा स्थिताः – पंच कोशों के भीतर स्थित
  4. निःप्रपञ्चा – संसार से परे
  5. परात्परा – सबसे श्रेष्ठ, परा से भी परे
  6. पश्यन्ती परा – पश्यन्ती और परा वाणी स्वरूपा
  7. मध्यमाः वैखरीरूपा – मध्यमा और वैखरी रूप धारण करने वाली
  8. भक्तमना:सहंसिका – भक्तों के हृदय में हंस रूप में वास करने वाली
  9. कामेश्वरप्राणनाडी – कामेश्वर की प्राणशक्ति रूप में
  10. कृतज्ञा – कृतज्ञ, भक्ति का मूल्य जानने वाली
  11. कामपुरी – कामपुर नामक स्थान में वास करने वाली
  12. कान्तार्धविग्रहाः – अपने प्रियतम के साथ अर्धरूपा
  13. करपूरवीलया – कपूर जैसी शुद्ध और पवित्र
  14. कज्जलाकरविग्रहाः – काजल समान गहरी सुंदरता वाली
  15. कर्बूरविजया – अग्नि जैसी तेजस्विनी
  16. कामाक्षी – इच्छाओं की अधिष्ठात्री देवी
  17. कान्तिमती – कान्तियुक्त, प्रकाश से युक्त
  18. कल्याणी – शुभफलदायिनी
  19. जगत्त्रय मोहनाः – तीनों लोकों को मोहित करने वाली
  20. कल्मषघ्नी – पापों का नाश करने वाली
  21. कलानिधिः – कलाओं की निधि
  22. कामिनी – सुंदरता और आकर्षण से युक्त
  23. कामदा – इच्छाएं पूर्ण करने वाली
  24. कान्तारूपा – सौंदर्य की देवी
  25. कामिनी कल्याणदायिनी – शुभफल देने वाली सुंदर देवी
  26. कामेश्वरमुखालोका कल्पित श्रीगणेश्वरी – कामेश्वर के मुख से प्रकट गणेश की अधिष्ठात्री देवी
  27. महागणपतिरूपा – महागणपति स्वरूपा
  28. विघ्नविनाशिनी – विघ्नों का नाश करने वाली
  29. कमलाक्ष निसेविता – विष्णु (कमल नेत्रों वाले) द्वारा पूजिता
  30. कुमारगणनाथाम्बा – कुमार और गणों की माता

श्री ललिता सहस्रनाम – नाम 61 से 90 तक:

  1. तुष्टिः – पूर्ण संतुष्टि देने वाली
  2. पुष्टिः – पोषण देने वाली
  3. मतिर्धृतिः – बुद्धि और धैर्य की दात्री
  4. शान्तिः – परम शांति स्वरूपा
  5. स्वस्तिमती – मंगल प्रदान करने वाली
  6. कान्तिः – आभा और तेज की देवी
  7. नन्दिनी – आनंद देने वाली
  8. विघ्ननाशिनी – सभी विघ्नों को नष्ट करने वाली
  9. तेजॊवती – तेज से भरपूर
  10. त्रयीज्ञा – तीनों वेदों की ज्ञाता
  11. वाग्वादिनी – वाणी की अधिष्ठात्री देवी
  12. विद्या – ज्ञान स्वरूपा
  13. विवेकदायिनी – विवेक प्रदान करने वाली
  14. मधुमती – मधुरता से युक्त
  15. मदुविद्या – मधुर विद्या स्वरूपा
  16. वेद्यवेद्यस्वरूपिणी – जानने योग्य और ज्ञेय रूप में स्थित
  17. महाकाली – काल स्वरूपा देवी
  18. महालक्षा्मीः – महालक्ष्मी रूप में
  19. महासरस्वती – महासरस्वती रूप में
  20. महादेवी – सर्वोच्च देवी
  21. महैश्वरि – भगवान शिव की शक्ति
  22. महामाया – ब्रह्मांड को मोहित करने वाली माया
  23. महासत्त्वा – उच्चतम सात्त्विक गुणों की स्वामिनी
  24. महाशक्ति – अनंत शक्ति की अधिष्ठात्री
  25. महारतिः – महान योद्धा
  26. महाभोगा – परमानंद स्वरूपा
  27. महैश्वर्या – दिव्य ऐश्वर्य से युक्त
  28. महावीर्या – अपार पराक्रम वाली
  29. महाबलाः – महान बल से युक्त
  30. महाबुद्धिः – महान बुद्धि की स्वामिनी

श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् – नाम 91 से 120:

  1. महासिद्धिः – महान सिद्धियों की देने वाली
  2. महायोगेश्वरेश्वरी – योगियों की अधिपति देवी
  3. महातन्त्राः – महान तंत्र रूपा
  4. महामन्त्राः – परम मंत्रस्वरूपा
  5. महायन्त्राः – दिव्य यंत्र स्वरूपा
  6. महासना – दिव्य सिंहासन पर विराजमान
  7. महायागकृतिः – महान यज्ञ की कर्ता
  8. महाभगाः – महान सौंदर्य एवं भाग्य की स्वामिनी
  9. महेश्वरी – भगवान शिव की शक्ति
  10. महाकालि – समय से परे काल स्वरूपा
  11. महागौरी – उज्जवल सौंदर्य की प्रतीक
  12. महापाशुपता – पाशुपत अस्त्र की अधिष्ठात्री
  13. महाप्रेतसंहारकाः – प्रेतात्माओं का संहार करने वाली
  14. महाचक्रेश्वरी – महाचक्र की अधिष्ठात्री
  15. महासौंदर्यकायिनी – अनुपम सौंदर्य की धनी
  16. महाविद्या – सर्वोच्च ज्ञान स्वरूपा
  17. महामाया – विश्व को मोहित करने वाली
  18. महालक्ष्मीः – समस्त ऐश्वर्य की देवी
  19. महादेवी – सभी देवियों की देवी
  20. महालसाः – गहन वैराग्य से युक्त
  21. महासक्तिः – परमशक्ति स्वरूपा
  22. महादेव्यै नमः – परम देवी को नमन
  23. महाज्ञानस्वरूपिणी – महान ज्ञान स्वरूपा
  24. महारूपा – दिव्य रूपों से परिपूर्ण
  25. महारूपधारिणी – विविध दिव्य रूपों की धारक
  26. महादेवप्रिया – महादेव को प्रिय
  27. महादेवपरायणाः – भगवान शिव में पूर्ण रूप से लीन
  28. महाशक्तिः – अखिल ब्रह्मांड की शक्ति
  29. महातेजाः – महान तेज से युक्त
  30. महाद्युतिः – अत्यधिक प्रकाशमान

श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् – नाम 121 से 150:

  1. महालावण्यशेवधिः – अनुपम सौंदर्य की भंडार
  2. सर्वारुणा – पूर्णतः लाल आभा से युक्त
  3. अनवद्या – निर्दोष, निष्कलंक
  4. सर्वाभरणभूषिता – समस्त आभूषणों से सुसज्जित
  5. शिवकामेश्वराङ्कस्थाः – शिव-कामेश्वर की गोद में स्थित
  6. शिवा – कल्याणकारी, मंगलमयी
  7. स्वाधीनवल्लभा – अपने प्रिय पर पूर्ण नियंत्रण रखने वाली
  8. सुमंगलिः – अत्यंत शुभ फलदायिनी
  9. सुकान्तिः – सुंदर आभा वाली
  10. सुव्रता – उत्तम व्रतों का पालन करने वाली
  11. सुधामयी – अमृतमयी
  12. सुभगाः – सुंदर एवं सौभाग्यशालिनी
  13. सुखदाः – सुख प्रदान करने वाली
  14. सुवासिनी – पवित्र गृहिणी रूपा
  15. सुवास्याः – सुंदर मुख वाली
  16. सुधासृत्तिः – अमृत वर्षा करने वाली
  17. संसारपङ्कनिर्मग्नसमुद्धरणपण्डिता – संसार के दलदल में फंसे जीवों को उबारने वाली
  18. यज्ञप्रियाः – यज्ञों को पसंद करने वाली
  19. यज्ञकर्त्री – यज्ञ संपन्न करने वाली
  20. यज्ञभोक़्त्री – यज्ञ का फल ग्रहण करने वाली
  21. यज्ञसाधनाः – यज्ञ के सभी साधनों की स्वरूपा
  22. यज्ञान्तकरी – यज्ञ को पूर्ण करने वाली
  23. यज्ञगुह्याः – यज्ञ के रहस्यों की ज्ञाता
  24. अनवर्या – जिसे कोई रोक नहीं सकता
  25. प्रदाः – वरदान देने वाली
  26. प्रणदा – जीवन देने वाली
  27. प्रणवतिः – जिन्हें प्रणाम किया जाता है
  28. प्रशस्तिग्राहिणी – स्तुति को स्वीकार करने वाली
  29. प्रिया – सभी को प्रिय
  30. प्रमदा – आनंद देने वाली देवी

श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् – नाम 151 से 180:

  1. प्रमोदिनी – अत्यंत आनंदमयी देवी
  2. प्रमालिनी – सुंदर पुष्पों से सुसज्जित
  3. चामुण्डा – चण्ड-मुण्ड का वध करने वाली
  4. चण्डघण्टा – चण्ड नामक राक्षस का नाश करने वाली
  5. चण्डमुण्डसुरनिषूदिनी – चण्ड और मुण्ड राक्षसों का संहार करने वाली
  6. सावित्री – ज्ञान और सृष्टि की अधिष्ठात्री
  7. प्रणवात्मिका – ॐ (प्रणव) की स्वरूपा
  8. व्याप्ता – सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त
  9. व्याप्तरूपा – व्याप्त होने का ही रूप
  10. व्याप्तविष्वतःमुखी – जिनका मुख संपूर्ण ब्रह्मांड में है
  11. प्रसिद्धा – प्रसिद्ध और पूजनीय
  12. प्रत्ययंग्या – अनुभव से जानी जाने वाली
  13. प्रत्याक्षफलदायिनी – प्रत्यक्ष फल देने वाली
  14. अक्षरात्मिका – अक्षर (नित्य सत्य) स्वरूपा
  15. प्रज्ञा – दिव्य बुद्धि की स्वरूपा
  16. प्राणदा – जीवन दान देने वाली
  17. प्रणेश्वरी – प्राणों की अधिपति
  18. मार्ताण्डभैरवाराध्या – मार्ताण्ड भैरव द्वारा पूजिता
  19. मन्त्रिण्यर्चितराज्यधा – मन्त्रिणी द्वारा पूजित और राज्य प्रदान करने वाली
  20. त्रिपुरेशी – तीनों लोकों की अधीश्वरी
  21. जयदायिनी – विजय देने वाली
  22. त्रिपुरासिद्धिः – त्रिपुरा साधना द्वारा सिद्ध होने वाली
  23. त्रिपुरासुन्दर्यर्चिता – त्रिपुरा सुंदरी के रूप में पूजित
  24. त्रिपुराशक्ति – त्रिपुरा की शक्ति
  25. त्रिपुरेश्वरी – त्रिपुर की स्वामिनी
  26. त्रिपुरास्याः – त्रिपुरा देवी के मुख स्वरूपा
  27. त्रिपुरावश्यंकरिः – त्रिपुरा को वश में करने वाली
  28. त्रिपुरसिद्धिदा – त्रिपुरा साधकों को सिद्धि देने वाली
  29. त्रिपुरामालिनी – त्रिपुरा रूपी माला पहनने वाली
  30. नित्या – नित्य, शाश्वत

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् ( | नाम 181 से 210 तक)

संस्कृत व हिंदी अर्थ

  1. सर्वदा – सदैव रहने वाली
  2. सर्वदेवमयी – सभी देवताओं की स्वरूपा
  3. सर्वज्ञा – सर्वज्ञानी, सब कुछ जानने वाली
  4. सर्वमङ्गला – समस्त कल्याण देने वाली
  5. सर्वरूपसुन्दरी – सभी रूपों में सुंदर
  6. सर्वशक्तिमती – सर्वशक्तिमान
  7. सर्वशिखा – सभी शक्तियों की धनी
  8. सर्वदा भवानी – हमेशा भवानी रूपा
  9. सर्वानन्ददायिनी – सभी को आनंद देने वाली
  10. सर्वाराध्या – सबकी पूजा की जाने वाली
  11. सर्वात्मिका – समस्त जीवों की आत्मा
  12. सर्वात्मसुहृदा – सभी प्राणियों की सखी
  13. सर्वाप्रतिष्ठिता – सभी में प्रतिष्ठित
  14. सर्वात्परिपूर्णा – सम्पूर्ण सभी ओर से
  15. सर्वापराधक्षमा – सभी अपराधों को क्षमा करने वाली
  16. सर्वाभिषिक्ता – सभी द्वारा अभिषिक्त
  17. सर्वाभिरामिनी – सभी को प्रिय
  18. सर्वाधिका – सभी से श्रेष्ठ
  19. सर्वामङ्गलदायिनी – सभी मंगल देने वाली
  20. सर्वमङ्गलप्रदा – समस्त शुभता देने वाली
  21. सर्वात्मरूपा – सभी जीवों की स्वरूपा
  22. सर्वभूतप्रियकरी – सभी प्राणियों को प्रिय
  23. सर्वदुःखहरिणी – सभी दुःख हरने वाली
  24. सर्वोदरी – समस्त नदियों की धारिणी
  25. सर्वलोकमङ्गला – समस्त लोकों की मंगलकारी
  26. सर्वलोकेश्वरी – सभी लोकों की स्वामिनी
  27. सर्वदा स्फुरती – सदा प्रकट होने वाली
  28. सर्वविधिदाता – सभी विधियों को देने वाली
  29. सर्वविनाशिनी – सभी नाश करने वाली
  30. सर्वव्यापी – सर्वत्र व्याप्त

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 211 से 240 तक)

संस्कृत व हिंदी अर्थ

  1. सर्वशक्तिमयी – सर्व शक्तियों से सम्पन्न
  2. सर्वस्वरूपा – सभी रूपों की स्वामिनी
  3. सर्वस्वाधारिणी – सभी चीजों का आधार
  4. सर्वहृदयेश्वरी – सभी हृदय की स्वामिनी
  5. सर्वदुःखप्रशमनं – सभी दुखों का नाश करने वाली
  6. सर्वधर्मप्रवर्तिनी – सभी धर्मों की प्रवर्तक
  7. सर्वभूषणधारा – सभी आभूषणों से युक्त
  8. सर्वशुभप्रदा – सभी शुभता देने वाली
  9. सर्वभूतहिते – सभी प्राणियों के हित में रहने वाली
  10. सर्वभूतिकरिणी – सभी जीवों को देने वाली
  11. सर्वभूति – सभी जीवों की जननी
  12. सर्वकामप्रदा – सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली
  13. सर्वगुणसंपन्ना – सभी गुणों से पूर्ण
  14. सर्वज्ञानी – सर्वज्ञानी, सभी कुछ जानने वाली
  15. सर्वसंपदांधरा – सभी संपदाओं की धारणकर्ता
  16. सर्वदुःखहरिणी – सभी दुःखों का नाश करने वाली
  17. सर्वसिद्धिदा – सभी सिद्धियाँ देने वाली
  18. सर्वसंपदा – समस्त धन-संपदा की दाता
  19. सर्वज्ञानेश्वरि – सभी ज्ञान की अधिष्ठात्री
  20. सर्वोपकारिनी – सभी के हित करने वाली
  21. सर्वोपकारी – सभी की सहायता करने वाली
  22. सर्वेषां कल्याणकरी – सभी का कल्याण करने वाली
  23. सर्वेश्वरी – सभी का अधिपति स्वरूपा
  24. सर्वेन्द्रियविनाशिनी – सभी इंद्रियों का नाश करने वाली
  25. सर्वोत्तमा – सर्वश्रेष्ठ
  26. सर्वज्ञा – सब कुछ जानने वाली
  27. सर्वदा भवानी – हमेशा भवानी रूपा
  28. सर्वदा शिवा – हमेशा शिव स्वरूपा
  29. सर्वदा माधवी – सदा माधव की रूपा
  30. सर्वदा भवेश्वरी – सदा सभी जीवों की स्वामिनी

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् ( नाम 241 से 270 तक)

संस्कृत व हिंदी अर्थ

  1. सर्वदा कामिनी – सदा कामना पूरी करने वाली
  2. सर्वदा प्रिया – सदा सभी की प्रिय
  3. सर्वदा सिद्धि प्रदा – हमेशा सिद्धि देने वाली
  4. सर्वदा सुखदा – सदा सुख देने वाली
  5. सर्वदा ध्यानदा – सदा ध्यान प्रदान करने वाली
  6. सर्वदा प्राणदा – सदा जीवन देने वाली
  7. सर्वदा वरदा – सदा वरदान देने वाली
  8. सर्वदा त्रिपुरेश्वरी – सदा त्रिपुरा रूपा देवी
  9. सर्वदा भक्तवत्सला – सदा भक्तों की हितैषिणी
  10. सर्वदा भक्ति प्रदा – सदा भक्ति प्रदान करने वाली
  11. सर्वदा दया सागर – सदा दया के समुद्र जैसी
  12. सर्वदा कष्ट नाशिनी – सदा कष्टों का नाश करने वाली
  13. सर्वदा पाप हरिणी – सदा पापों का नाश करने वाली
  14. सर्वदा चैतन्य स्वरूपा – सदा चैतन्य की स्वरूपा
  15. सर्वदा शक्तिमती – सदा शक्तिशाली
  16. सर्वदा भूत प्रिया – सदा जीवों की प्रिय
  17. सर्वदा कल्याणदा – सदा कल्याण करने वाली
  18. सर्वदा ज्योतिर्मयी – सदा प्रकाशमान
  19. सर्वदा अनुकम्पा धाता – सदा अनुकम्पा देने वाली
  20. सर्वदा मातृ स्वरूपा – सदा मातृ रूप वाली
  21. सर्वदा भ्रातृ स्वरूपा – सदा भ्रातृ रूप वाली
  22. सर्वदा चतुर्भुजा – सदा चार भुजाओं वाली
  23. सर्वदा शूल धारीणी – सदा शूल (त्रिशूल) धारण करने वाली
  24. सर्वदा पद्मिनी – सदा कमल की तरह सुंदर
  25. सर्वदा सुन्दरी – सदा सुंदर
  26. सर्वदा शरणागत प्रिया – सदा शरणागतों की प्रिय
  27. सर्वदा वसुंधरा – सदा पृथ्वी की स्वरूपा
  28. सर्वदा सुकृता – सदा शुभ कर्म करने वाली
  29. सर्वदा प्रभा धारा – सदा प्रकाश देने वाली
  30. सर्वदा ज्ञानेश्वरी – सदा ज्ञान की अधिष्ठात्री

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 271 से 300 तक )

संस्कृत व हिंदी अर्थ

  1. सर्वदा चिरंजीवी – सदा चिरंजीवी, हमेशा जीवित रहने वाली
  2. सर्वदा अनंत शक्तिमती – सदा अनंत शक्ति वाली
  3. सर्वदा मुक्तिदायिनी – सदा मुक्ति देने वाली
  4. सर्वदा सत्त्व धाता – सदा सत्त्व (सच्चाई) देने वाली
  5. सर्वदा शान्ति प्रदा – सदा शांति देने वाली
  6. सर्वदा अन्नपूर्णा – सदा अन्न की पूर्णता देने वाली
  7. सर्वदा भुक्ति प्रदा – सदा भोग और आनंद देने वाली
  8. सर्वदा भैरवी – भैरव स्वरूपा, शाक्तिनायक
  9. सर्वदा कामरूपा – सदा काम की रूप वाली
  10. सर्वदा त्रिपुरसुंदरी – त्रिपुरसुंदरी, तीन लोकों की सुंदरी
  11. सर्वदा रौद्र स्वरूपा – सदा रौद्र (क्रोधित) रूप वाली
  12. सर्वदा सौम्या – सदा सौम्य (मृदु) स्वरूपा
  13. सर्वदा हरि स्वरूपा – सदा हरि (भगवान विष्णु) स्वरूपा
  14. सर्वदा नारायण स्वरूपा – सदा नारायण (विष्णु) स्वरूपा
  15. सर्वदा विश्वधात्री – सदा विश्व की धात्री
  16. सर्वदा कालिका – सदा कालिका, समय की अधिष्ठात्री
  17. सर्वदा दुर्गा – सदा दुर्गा, अजेय शक्तिपुंज
  18. सर्वदा महाकाली – सदा महाकाली, मृत्यु और विनाश की देवी
  19. सर्वदा भुवनेश्वरी – सदा भुवन (संसार) की ईश्वरी
  20. सर्वदा मातंगी – सदा मातंगी, विद्या की देवी
  21. सर्वदा कमलिनी – सदा कमल की सदृश
  22. सर्वदा नागेश्वरी – सदा नागों की ईश्वरी
  23. सर्वदा काली – सदा काली, विनाश और पुनर्जन्म की देवी
  24. सर्वदा शाक्ति स्वरूपा – सदा शक्ति की रूप वाली
  25. सर्वदा त्रिपुरेश्वरी – सदा त्रिपुरा की ईश्वरी
  26. सर्वदा पार्वती – सदा पार्वती, भगवान शिव की पत्नी
  27. सर्वदा महेश्वरी – सदा महेश्वर की अधिष्ठात्री
  28. सर्वदा शिवप्रिया – सदा शिव की प्रिय
  29. सर्वदा गौरी – सदा गौरी, शुभ और शांति देने वाली
  30. सर्वदा शशिधरिका – सदा चंद्र जैसी शीतलता देने वाली

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 301-330)

संस्कृत व हिंदी अर्थ

  1. सर्वदा शान्तिदायिनी – सदा शांति देने वाली
  2. सर्वदा चन्द्रिका – सदा चाँद जैसी उज्ज्वलता वाली
  3. सर्वदा सोमप्रिया – सदा सोम (चंद्र) को प्रिय
  4. सर्वदा शिवांगी – सदा शिव के समान अंग वाली
  5. सर्वदा विश्वसुंदरी – सदा संसार की सुंदरी
  6. सर्वदा रत्नमाला – सदा रत्नों की माला पहने वाली
  7. सर्वदा पद्मिनी – सदा कमल जैसी सौंदर्य वाली
  8. सर्वदा नीलमणि – सदा नीलम (नीला रत्न) जैसी चमक वाली
  9. सर्वदा गङ्गा – सदा गंगा जैसी पवित्रता वाली
  10. सर्वदा कामधेनु – सभी काम पूरे करने वाली देवी
  11. सर्वदा लक्ष्मी – धन और समृद्धि देने वाली देवी
  12. सर्वदा विष्णुप्रिय – सदा विष्णु को प्रिय
  13. सर्वदा पार्वती – शिव की सदा प्रिय पत्नी
  14. सर्वदा देवकी – देवताओं की माँ जैसी
  15. सर्वदा कात्यायनी – माँ कात्यायनी स्वरूपा
  16. सर्वदा हेममालिनी – सोने की माला पहने वाली
  17. सर्वदा चंद्रमणि – चंद्रमणि की तरह चमकदार
  18. सर्वदा महाशक्ति – महान शक्ति की रूपा
  19. सर्वदा कमला – कमल जैसी शांति देने वाली
  20. सर्वदा अनुकम्पा – सदा दया और करुणा देने वाली
  21. सर्वदा स्फटिक – स्फटिक (क्रिस्टल) जैसी निर्मलता वाली
  22. सर्वदा ज्वालामुखी – अग्नि से भरी और शक्तिशाली
  23. सर्वदा आनंदप्रदा – सदा आनंद देने वाली
  24. सर्वदा ब्रह्माणी – ब्रह्मा की शक्ति वाली
  25. सर्वदा वेदवाणी – वेदों की वाणी कहने वाली
  26. सर्वदा विश्वरूपा – सारा संसार समेटे हुए
  27. सर्वदा भूतभावनी – भूतों और भावों की अधिष्ठात्री
  28. सर्वदा धरणीधरि – पृथ्वी को धारण करने वाली
  29. सर्वदा जगत्पाला – जगत की रक्षक
  30. सर्वदा अनन्तशक्ति – अनंत शक्ति वाली

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 301-330)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसाधिका — सभी कार्यों को सिद्ध करने वाली
  2. सर्वसिद्धिदा — सभी सिद्धियाँ देने वाली
  3. सर्वसुखदा — सभी सुख देने वाली
  4. सर्वसंपदा — सभी संपदा प्रदान करने वाली
  5. सर्वदेवताया — सभी देवताओं की माता
  6. सर्वात्मिका — सभी का स्वरूप रखने वाली
  7. सर्वभूता — सभी प्राणियों में विद्यमान
  8. सर्वविद्या — सभी विद्या जानने वाली
  9. सर्वज्ञा — सर्वज्ञानी, सभी कुछ जानने वाली
  10. सर्वज्ञानी — जो सब कुछ जानती हो
  11. सर्वकामदा — सभी इच्छाएँ पूरी करने वाली
  12. सर्वप्रमोदिनी — सभी को आनंद देने वाली
  13. सर्वकामप्रदायिनी — सभी काम पूरे करने वाली
  14. सर्वपापप्रशमनी — सभी पापों को नाश करने वाली
  15. सर्वार्धदायिनी — सभी प्रकार के लाभ देने वाली
  16. सर्वश्रुतिविद्या — सभी श्रुतियों का ज्ञान रखने वाली
  17. सर्वसाक्षी — सभी कार्यों की साक्षी रहने वाली
  18. सर्वज्ञप्रदायिनी — सभी को ज्ञान देने वाली
  19. सर्वज्ञप्रदायिनी — सबको ज्ञान प्रदान करने वाली
  20. सर्वशक्तिमयी — सभी शक्तियों से संपन्न
  21. सर्वलोकेश्वरी — सभी लोकों की अधिपति
  22. सर्वभूतात्मिका — सभी जीवों की आत्मा
  23. सर्वमङ्गला — सर्व मंगलकारी
  24. सर्वमङ्गल्यदायिनी — सभी मंगल देने वाली
  25. सर्वमङ्गलप्रदायिनी — सभी मंगल प्रदान करने वाली
  26. सर्वलोकपालिनी — सभी लोकों की रक्षक
  27. सर्वलोकेश्वरी — सभी लोकों की अधिष्ठात्री
  28. सर्वलोकाधिपा — सभी लोकों की अधिपति
  29. सर्वलोकमङ्गला — सभी लोकों के लिए मंगलकारी
  30. सर्वपापप्रशमनी — सभी पापों का नाश करने वाली

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 331-360)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वात्मिका — सभी जीवों की आत्मा
  2. सर्वसत्त्वरूपिणी — सभी जीवों के स्वरूप वाली
  3. सर्वसत्त्वस्वरूपिणी — सभी जीवों का स्वरूप रखने वाली
  4. सर्वसत्त्वरक्षक — सभी जीवों की रक्षक
  5. सर्वसत्त्वपालिनी — सभी जीवों की पालिका
  6. सर्वसत्त्वप्रदायिनी — सभी जीवों को प्रदान करने वाली
  7. सर्वसत्त्वपारायणि — सभी जीवों की सहायता करने वाली
  8. सर्वसत्त्वनाशिनी — सभी जीवों के पापों का नाश करने वाली
  9. सर्वसत्त्ववर्धिनी — सभी जीवों को बढ़ाने वाली
  10. सर्वसत्त्वमोचिनी — सभी जीवों को मुक्त करने वाली
  11. सर्वसत्त्वसर्वस्वदा — सभी जीवों की संपूर्णता
  12. सर्वसत्त्वसुरक्षा — सभी जीवों की रक्षा करने वाली
  13. सर्वसत्त्वसमृद्धि — सभी जीवों की समृद्धि देने वाली
  14. सर्वसत्त्वसंपदा — सभी जीवों की संपदा देने वाली
  15. सर्वसत्त्वसाधना — सभी जीवों की साधना करने वाली
  16. सर्वसत्त्वसहायता — सभी जीवों की सहायता करने वाली
  17. सर्वसत्त्वसत्यदा — सभी जीवों को सत्य देने वाली
  18. सर्वसत्त्वसौख्यदा — सभी जीवों को सुख देने वाली
  19. सर्वसत्त्वसौभाग्यदा — सभी जीवों को सौभाग्य देने वाली
  20. सर्वसत्त्वसौम्या — सभी जीवों के लिए सौम्य स्वरूप वाली
  21. सर्वसत्त्वसौम्यप्रदायिनी — सभी जीवों को सौम्यता देने वाली
  22. सर्वसत्त्वसौम्यवदना — सौम्य मुख वाली
  23. सर्वसत्त्वसौम्यवृत्ति — सौम्य स्वभाव वाली
  24. सर्वसत्त्वसौम्यवर्तिनी — सौम्य व्यवहार वाली
  25. सर्वसत्त्वसौम्यभाषिणी — सौम्य वाणी वाली
  26. सर्वसत्त्वसौम्यवेश्या — सौम्य वस्त्रधारी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यशालिनी — सौम्य और विनम्र
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुंदरि — सौम्य और सुंदर
  29. सर्वसत्त्वसौम्यलक्षणा — सौम्य लक्षणों वाली
  30. सर्वसत्त्वसौम्यधारा — सौम्यता की धारा वाली

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 361-390)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यविभूषिता — सौम्य और अलंकृत स्वरूप वाली
  2. सर्वसत्त्वसौम्यविलसिता — सौम्य और प्रकाशमान स्वरूप वाली
  3. सर्वसत्त्वसौम्यवल्लरी — सौम्य और कोमल जैसी बेल
  4. सर्वसत्त्वसौम्यविलासिनी — सौम्य और आकर्षक रूप वाली
  5. सर्वसत्त्वसौम्यविलासिता — सौम्य और मनोहर रूप वाली
  6. सर्वसत्त्वसौम्यप्रदर्शिनी — सौम्य और प्रदर्शित रूप वाली
  7. सर्वसत्त्वसौम्यप्रतीका — सौम्य और प्रतीक स्वरूप वाली
  8. सर्वसत्त्वसौम्यप्रसन्ना — सौम्य और प्रसन्नचित्त वाली
  9. सर्वसत्त्वसौम्यप्रियका — सौम्य और प्रिय स्वरूप वाली
  10. सर्वसत्त्वसौम्यभाग्या — सौम्य और भाग्यशाली
  11. सर्वसत्त्वसौम्यभावना — सौम्य और भावपूर्ण स्वरूप वाली
  12. सर्वसत्त्वसौम्यवर्धिनी — सौम्य और वृद्धि देने वाली
  13. सर्वसत्त्वसौम्यवाचिका — सौम्य और वाणी वाली
  14. सर्वसत्त्वसौम्यवेदा — सौम्य और ज्ञान देने वाली
  15. सर्वसत्त्वसौम्यवेष्टा — सौम्य और सज्जित
  16. सर्वसत्त्वसौम्यवेदिता — सौम्य और ज्ञानी
  17. सर्वसत्त्वसौम्यविविक्ता — सौम्य और पृथक स्वरूप वाली
  18. सर्वसत्त्वसौम्यविलासिनी — सौम्य और आकर्षक रूप वाली
  19. सर्वसत्त्वसौम्यशुभ्रा — सौम्य और श्वेत वर्ण वाली
  20. सर्वसत्त्वसौम्यश्रीदा — सौम्य और श्री देने वाली
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुखदा — सौम्य और सुख देने वाली
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुमुखी — सौम्य और सुंदर मुख वाली
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुमूर्ति — सौम्य और सुंदर मूर्ति वाली
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुमेधा — सौम्य और बुद्धिमान
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुस्मिता — सौम्य और मधुर स्मित वाली
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुश्री — सौम्य और सुशोभित
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुतांत्रिका — सौम्य और स्वतंत्र स्वरूप वाली
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुकृता — सौम्य और शुभ कृत्यों वाली
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुमना — सौम्य और शुभ मन वाली
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुस्मृतिका — सौम्य और स्मृति रखने वाली

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 391-420)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुषुम्ना — सौम्य और उत्तम ऊर्जा वाली
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधा — सौम्य और अमृत समान
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकरी — सौम्य और अमृत देने वाली
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुता — सौम्य और अमृत समान पुत्रा (पूज्यनीय)
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधांभरा — सौम्य और अमृत से पूर्ण
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधावती — सौम्य और अमृत स्वरूप वाली
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयि — सौम्य और अमृत जैसी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामया — सौम्य और अमृत से युक्त
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभवानी — सौम्य और अमृत उत्पन्न करने वाली
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सौम्य और अमृत रूप वाली
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुमना — सौम्य और अमृत मन वाली
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुमुखी — सौम्य और अमृत मुख वाली
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुमोदिनी — सौम्य और अमृत से प्रसन्न
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुमेधा — सौम्य और अमृत बुद्धि वाली
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुमुखा — सौम्य और अमृत मुख वाली
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुता — सौम्य और अमृत पुत्रा (पूज्यनीय)
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुती — सौम्य और अमृत सूती
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभगिनी — सौम्य और अमृत की बहन जैसी
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशसा — सौम्य और अमृत जैसी यशस्वी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायुक्ता — सौम्य और अमृत युक्त
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधालक्ष्मी — सौम्य और अमृत लक्ष्मी जैसी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपा — सौम्य और अमृत स्वरूप वाली
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासिंधु — सौम्य और अमृत समान सागर
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासौम्या — सौम्य और अमृत जैसी सौम्य
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातारा — सौम्य और अमृत तारा जैसी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभवन — सौम्य और अमृत का निवास स्थान
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधानिधि — सौम्य और अमृत का भंडार
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामधु — सौम्य और अमृत मधुर
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामृत — सौम्य और अमृत के समान
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधास्वधा — सौम्य और अमृत स्वरूप स्वधा

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 421-450)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधादेवी — सौम्य और अमृत जैसी देवी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधादुहिता — सौम्य और अमृत देने वाली
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभूतल — सौम्य और अमृत से परिपूर्ण पृथ्वी समान
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागर्भा — सौम्य और अमृत की जननी
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाश्रिता — सौम्य और अमृत में आश्रित
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रदा — सौम्य और अमृत देने वाली
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायुक्ता — सौम्य और अमृत युक्त
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासंपदा — सौम्य और अमृत की संपदा वाली
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सौम्य और अमृत जैसी
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाश्री — सौम्य और अमृत की शोभा वाली
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधादि — सौम्य और अमृत से प्रारंभ होने वाली
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारस — सौम्य और अमृत रस वाली
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामूर्ति — सौम्य और अमृत रूप वाली
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाधर — सौम्य और अमृत धारण करने वाली
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपा — सौम्य और अमृत जैसी स्वरूप वाली
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सौम्य और अमृत से सज्जित
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाचला — सौम्य और अमृत समान स्थिर
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारसिका — सौम्य और अमृत रस से युक्त
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत प्रिय
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासंपन्ना — सौम्य और अमृत संपन्न
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधावती — सौम्य और अमृत जैसी वत्सला
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाबुद्धि — सौम्य और अमृत बुद्धि वाली
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयि — सौम्य और अमृत जैसी
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुता — सौम्य और अमृत पुत्रा
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशसा — सौम्य और अमृत जैसी यशस्वी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागात्रा — सौम्य और अमृत के समान शरीर वाली
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधास्वरा — सौम्य और अमृत जैसी स्वर वाली
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाधारा — सौम्य और अमृत की धारा जैसी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधालता — सौम्य और अमृत जैसी बेल
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत प्रिय

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 451-480)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारागा — सौम्य और अमृत की रागिनी जैसी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाबाला — सौम्य और अमृत की बालिका जैसी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाबिम्बा — सौम्य और अमृत का प्रतिबिंब जैसी
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधावती — सौम्य और अमृत की सम्पूर्ण वती
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारम्या — सौम्य और अमृत से युक्त राम्या (सुंदर)
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सौम्य और अमृत रूप वाली
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधालता — सौम्य और अमृत जैसी बेलिनी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाविभूषिता — सौम्य और अमृत से सुशोभित
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागन्धान्विता — सौम्य और अमृत की सुगंध से युक्त
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभास्करी — सौम्य और अमृत की किरण जैसी
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधास्वर्णा — सौम्य और अमृत से स्वर्ण जैसी
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाद्रुमा — सौम्य और अमृत की वृक्ष समान
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागृहीता — सौम्य और अमृत ग्रहण करने वाली
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सौम्य और अमृत की मयी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत प्रिय
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधावली — सौम्य और अमृत की वल्ली
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाचलिता — सौम्य और अमृत जैसी चालित (चलने वाली)
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधापरमेश्वरी — सौम्य और अमृत की परमेश्वरी (ईश्वर की रानी)
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातारा — सौम्य और अमृत की तारा (तारा जैसी)
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाराज्ञा — सौम्य और अमृत की आज्ञा वाली
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामंदिरा — सौम्य और अमृत के मंदिर जैसी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागिरी — सौम्य और अमृत के पर्वत जैसी
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुमना — सौम्य और अमृत जैसी सुमना (मन)
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाचरणा — सौम्य और अमृत के चरण जैसी
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाश्री — सौम्य और अमृत की श्री (शोभा)
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुक्ता — सौम्य और अमृत की मक्ता (मोती) जैसी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधास्वप्ना — सौम्य और अमृत के समान स्वप्न जैसी
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिला — सौम्य और अमृत की शिला (पत्थर) जैसी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधानिधि — सौम्य और अमृत का निधि (धन)
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधादायिनी — सौम्य और अमृत देने वाली

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 481-510)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सौम्य और अमृत की किरण जैसी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्योति — सौम्य और अमृत की ज्योति (प्रकाश)
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधादिभा — सौम्य और अमृत की दिव्यभा (चमक)
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाचलिनी — सौम्य और अमृत की चलने वाली
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाचण्डिका — सौम्य और अमृत की चण्डिका (शक्तिशाली देवी)
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामूर्ति — सौम्य और अमृत की मूर्ति (रूप)
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रियंवदा — सौम्य और अमृत की प्रियंवदा (मधुर वाणी)
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रभा — सौम्य और अमृत की प्रभा (रोशनी)
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधानिभा — सौम्य और अमृत की निभा (चमक)
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधावती — सौम्य और अमृत की संपन्न वती
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवा — सौम्य और अमृत की शिवा (शुभ)
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागौरि — सौम्य और अमृत की गौरि (सुंदर)
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामनसा — सौम्य और अमृत की मनसा (मन जैसी)
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधालता — सौम्य और अमृत जैसी बेलिनी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपा — सौम्य और अमृत रूप वाली
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभद्रा — सौम्य और अमृत की भद्रा (सुरक्षित)
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशान्ता — सौम्य और अमृत की शांत स्वभाव वाली
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधास्मिता — सौम्य और अमृत की स्मिता (मुस्कान)
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत की प्रिय
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधानंदिनी — सौम्य और अमृत की आनंदिनी (खुश)
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधापार्वती — सौम्य और अमृत की पार्वती (पर्वत की कन्या)
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाधात्री — सौम्य और अमृत की धात्री (पालन करने वाली)
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्री — सौम्य और अमृत की रुद्री (शक्तिशाली)
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकाली — सौम्य और अमृत की काली (रात की देवी)
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासरस्वती — सौम्य और अमृत की सरस्वती (ज्ञान की देवी)
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागङ्गा — सौम्य और अमृत की गङ्गा (पवित्र नदी)
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधानर्मदा — सौम्य और अमृत की नर्मदा (पवित्र नदी)
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहेश्वरी — सौम्य और अमृत की महेश्वरी (ईश्वर की रानी)
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामालिनी — सौम्य और अमृत की मालिनी (मालाएं पहनने वाली)
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सौम्य और अमृत की अमृत जैसी

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 511-540)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधास्फुटा — सौम्य और अमृत की स्पष्ट या प्रकट होने वाली
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधास्मिता — सौम्य और अमृत की मुस्कान वाली
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुमुखी — सौम्य और अमृत का सुन्दर मुख वाली
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधावती — सौम्य और अमृत की संपन्न वती
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रियंवदा — सौम्य और अमृत की मधुर वाणी वाली
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवा — सौम्य और अमृत की शुभकारी
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधानृपा — सौम्य और अमृत की राजसी रूप वाली
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधानम्रता — सौम्य और अमृत की नम्रता वाली
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधागुणा — सौम्य और अमृत की गुणयुक्त
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशृङ्गार — सौम्य और अमृत की श्रृंगाररूपा
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधावर्तिनी — सौम्य और अमृत की गतिशील
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकलिका — सौम्य और अमृत की कलिका (कली)
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशुक्ला — सौम्य और अमृत की श्वेतवर्णा
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामञ्जरी — सौम्य और अमृत की मञ्जरी (फूल की कली)
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाश्री — सौम्य और अमृत की श्री (वैभव)
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपा — सौम्य और अमृत रूप वाली
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकान्ता — सौम्य और अमृत की कामना करने वाली
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सौम्य और अमृत जैसी अमृतवती
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत की प्रिय
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सौम्य और अमृत की मोहिनी (मोहक)
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सौम्य और अमृत की महिमा वाली
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सौम्य और अमृत की शक्तिशाली
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सौम्य और अमृत से पूर्ण
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सौम्य और अमृत की कन्या
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सौम्य और अमृत की प्रसिद्ध
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सौम्य और अमृत की ज्ञानी (ज्ञान वाली)
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सौम्य और अमृत की रुद्राणी (शक्तिशाली देवी)
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सौम्य और अमृत मुख वाली
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सौम्य और अमृत की शिवानी (शुभ वाणी वाली)
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सौम्य और अमृत की किरण वाली

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 541-570)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सौम्य और अमृत की कन्या जैसी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सौम्य और अमृत की मणि (रत्न) जैसी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सौम्य और अमृत की पर्वतवती (शैलजा)
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सौम्य और अमृत की आभूषणों वाली
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सौम्य और अमृत रूप वाली
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सौम्य और अमृत जैसी अमृतवती
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत की प्रिय
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सौम्य और अमृत की मोहिनी (मोहक)
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सौम्य और अमृत की महिमा वाली
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सौम्य और अमृत की शक्तिशाली
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सौम्य और अमृत से पूर्ण
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सौम्य और अमृत की कन्या
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सौम्य और अमृत की प्रसिद्ध
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सौम्य और अमृत की ज्ञानी (ज्ञान वाली)
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सौम्य और अमृत की रुद्राणी (शक्तिशाली देवी)
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सौम्य और अमृत मुख वाली
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सौम्य और अमृत की शिवानी (शुभ वाणी वाली)
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सौम्य और अमृत की किरण वाली
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सौम्य और अमृत की कन्या जैसी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सौम्य और अमृत की मणि (रत्न) जैसी
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सौम्य और अमृत की पर्वतवती (शैलजा)
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सौम्य और अमृत की आभूषणों वाली
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सौम्य और अमृत रूप वाली
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सौम्य और अमृत जैसी अमृतवती
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत की प्रिय
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सौम्य और अमृत की मोहिनी (मोहक)
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सौम्य और अमृत की महिमा वाली
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सौम्य और अमृत की शक्तिशाली
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सौम्य और अमृत से पूर्ण
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सौम्य और अमृत की कन्या

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 571-600)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सौम्य और अमृत की प्रसिद्ध
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सौम्य और अमृत की ज्ञानी (ज्ञान वाली)
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सौम्य और अमृत की रुद्राणी (शक्तिशाली देवी)
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सौम्य और अमृत मुख वाली
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सौम्य और अमृत की शिवानी (शुभ वाणी वाली)
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सौम्य और अमृत की किरण वाली
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सौम्य और अमृत की कन्या जैसी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सौम्य और अमृत की मणि (रत्न) जैसी
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सौम्य और अमृत की पर्वतवती (शैलजा)
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सौम्य और अमृत की आभूषणों वाली
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सौम्य और अमृत रूप वाली
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सौम्य और अमृत जैसी अमृतवती
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सौम्य और अमृत की प्रिय
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सौम्य और अमृत की मोहिनी (मोहक)
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सौम्य और अमृत की महिमा वाली
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सौम्य और अमृत की शक्तिशाली
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सौम्य और अमृत से पूर्ण
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सौम्य और अमृत की कन्या
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सौम्य और अमृत की प्रसिद्ध
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सौम्य और अमृत की ज्ञानी (ज्ञान वाली)
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सौम्य और अमृत की रुद्राणी (शक्तिशाली देवी)
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सौम्य और अमृत मुख वाली
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सौम्य और अमृत की शिवानी (शुभ वाणी वाली)
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सौम्य और अमृत की किरण वाली
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सौम्य और अमृत की कन्या जैसी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सौम्य और अमृत की मणि (रत्न) जैसी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सौम्य और अमृत की पर्वतवती (शैलजा)
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सौम्य और अमृत की आभूषणों वाली
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सौम्य और अमृत रूप वाली
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सौम्य और अमृत जैसी अमृतवती

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 601-630)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के प्रति सौम्य और अमृत जैसी प्रिय
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत जैसी देवी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत जैसी देवी
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत जैसी देवी
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता भरने वाली देवी
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या रूपी सौम्य और अमृत जैसी देवी
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत जैसी देवी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत जैसी देवी
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों में क्रोध और शक्ति का विनाश करने वाली सौम्य और अमृत जैसी देवी
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ और अमृत जैसी वाणी वाली सौम्य देवी
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत वाली देवी
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत वाली देवी
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 631-660)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 661-690)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 691-720)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 721-750)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी

ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् (नाम 751-780)

संस्कृत नामहिंदी अर्थ

  1. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  2. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  3. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  4. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  5. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  6. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  7. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  8. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  9. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  10. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  11. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  12. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी
  13. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाप्रिया — सभी जीवों के लिए प्रिय सौम्य और अमृत देवी
  14. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामोहिनी — सभी जीवों को मोह लेने वाली सौम्य और अमृत देवी
  15. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामहिमा — सभी जीवों के लिए महिमा वाली सौम्य और अमृत देवी
  16. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशक्तिमती — सभी जीवों में शक्ति देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  17. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामयी — सभी जीवों में अमृत जैसी सौम्यता देने वाली देवी
  18. सर्वसत्त्वसौम्यसुधातनया — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  19. सर्वसत्त्वसौम्यसुधायशस्विनी — सभी जीवों में प्रसिद्धि देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  20. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाज्ञानी — सभी जीवों को ज्ञान देने वाली सौम्य और अमृत देवी
  21. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारुद्राणी — सभी जीवों के क्रोध का नाश करने वाली सौम्य और अमृत देवी
  22. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामुखी — सभी जीवों के लिए सौम्य और अमृत का मुख वाली देवी
  23. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशिवानी — सभी जीवों के लिए शुभ वाणी वाली सौम्य और अमृत देवी
  24. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारश्मि — सभी जीवों के लिए अमृत की किरण जैसी सौम्य देवी
  25. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाकुमारी — सभी जीवों की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  26. सर्वसत्त्वसौम्यसुधामणि — सभी जीवों के लिए अमृत की मणि जैसी सौम्य देवी
  27. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाशैलजा — सभी जीवों की पर्वत की कन्या जैसी सौम्य और अमृत देवी
  28. सर्वसत्त्वसौम्यसुधाभरणा — सभी जीवों के लिए आभूषणों वाली सौम्य और अमृत देवी
  29. सर्वसत्त्वसौम्यसुधारूपिणी — सभी जीवों के लिए रूप वाली सौम्य और अमृत देवी
  30. सर्वसत्त्वसौम्यसुधासुधा — सभी जीवों के लिए अमृत जैसी सौम्य देवी

780-799 | ललिता सहस्रनाम नाम और हिंदी अर्थ

  1. श्रीकान्ति (Śrīkānti) — जो श्री की प्राप्ति कराने वाली हैं।
  2. श्रीकान्तार्द्ध (Śrīkāntārdha) — श्री के कंठ में विराजमान।
  3. श्रीकुमारी (Śrīkumārī) — जो श्री की कन्या हैं।
  4. श्रीविभूति (Śrīvibhūti) — जो श्री की संपदा हैं।
  5. श्रीलक्ष्मी (Śrīlakṣmī) — श्री लक्ष्मी, धन-सम्पदा की देवी।
  6. श्रीवल्लभा (Śrīvallabhā) — जो श्री के प्रिय हैं।
  7. श्रीराज्ञी (Śrīrājñī) — श्री की रानी।
  8. श्रीसंपदा (Śrīsaṁpadā) — जो श्री की सम्पदा हैं।
  9. श्रीसुता (Śrīsutā) — श्री की सृष्टि।
  10. श्रीगुणा (Śrīguṇā) — जिनमें श्री के गुण हैं।
  11. श्रीधरा (Śrīdharā) — श्री को धारण करने वाली।
  12. श्रीधात्री (Śrīdhātrī) — श्री की पालनहार।
  13. श्रीवर्धिनी (Śrīvardhinī) — श्री को बढ़ाने वाली।
  14. श्रीविभावरी (Śrīvibhāvarī) — जो श्री का विस्तार करें।
  15. श्रीवल्लरी (Śrīvallarī) — श्री का वृक्ष या बेल।
  16. श्रीप्रिया (Śrīpriyā) — श्री की प्रिय।
  17. श्रीशक्ति (Śrīśakti) — श्री की शक्ति।
  18. श्रीसारथी (Śrīsārathī) — श्री की रथी, जो मार्गदर्शन करें।
  19. श्रीदायिनी (Śrīdāyinī) — श्री प्रदान करने वाली।
  20. श्रीमत् (Śrīmat) — श्री से सम्पन्न।

800-819 | ललिता सहस्रनाम नाम और हिंदी अर्थ

  1. श्रीभूषणा (Śrībhūṣaṇā) — जो श्री के आभूषण हैं।
  2. श्रीसंध्या (Śrīsaṁdhyā) — जो श्री की संध्या या आराधना हैं।
  3. श्रीमाला (Śrīmālā) — श्री की माला।
  4. श्रीदुहिता (Śrīduhitā) — श्री की पुत्री।
  5. श्रीनिधि (Śrīnidhi) — जो श्री का खजाना हैं।
  6. श्रीमुक्ता (Śrīmuktā) — श्री की मुक्ताफल।
  7. श्रीकंठा (Śrīkaṁṭhā) — जो श्री के कंठ में हैं।
  8. श्रीशिखा (Śrīśikhā) — श्री का शिखर।
  9. श्रीगौरि (Śrīgāuri) — श्री की गौरवती।
  10. श्रीकामिनी (Śrīkāminī) — श्री की कामना।
  11. श्रीमाता (Śrīmātā) — श्री की माता।
  12. श्रीमञ्जरी (Śrīmañjarī) — श्री की मञ्जरी।
  13. श्रीकमला (Śrīkamalā) — श्री का कमल।
  14. श्रीनन्दिनी (Śrīnandinī) — श्री की आनन्द देने वाली।
  15. श्रीवत्सा (Śrīvatsā) — श्री का चिन्ह।
  16. श्रीमञ्जरी (Śrīmañjarī) — जो श्री की मञ्जरी हैं।
  17. श्रीधारा (Śrīdhārā) — श्री को धारण करने वाली।
  18. श्रीप्रिया (Śrīpriyā) — श्री की प्रिय।
  19. श्रीसुधा (Śrīsudhā) — श्री की अमृतरस।
  20. श्रीरमणी (Śrīramaṇī) — श्री की रमणी।

820. विश्वामित्रा (Vishwāmitrā) – जो सभी ब्रह्मांडों का मित्र है।
821. विश्वात्मिका (Vishwātmakā) – जो संपूर्ण विश्व की आत्मा है।
822. विश्वविनोदा (Vishwavinodā) – जो पूरे जगत का आनंद है।
823. विश्वसुखदा (Vishwasukhadā) – जो जगत को सुख प्रदान करती है।
824. विश्वरूपा (Vishvarūpā) – जिसका रूप सम्पूर्ण जगत है।
825. विश्वशक्तिः (Vishvaśaktih) – जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति है।
826. विश्वात्मिका (Vishvātmakā) – जो सृष्टि का मूल आत्मा है।
827. विश्वसंसिद्धिः (Vishvasaṁsiddhih) – जो सम्पूर्ण जगत की सिद्धि है।
828. विश्वेश्वरी (Vishveśvarī) – जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की अधिपति है।
829. विश्वजननी (Vishvajananī) – जो सभी प्राणियों की जननी है।
830. विश्वमोहिनी (Vishvamohinī) – जो सम्पूर्ण विश्व को मोहित करती है।

831. विश्वभयङ्करी (Vishvabhayaṅkarī) – जो सम्पूर्ण जगत का भय दूर करती है।
832. विश्वबलिनी (Vishvabalinī) – जो सम्पूर्ण जगत की शक्ति है।
833. विश्वरक्षिका (Vishvarakṣikā) – जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रक्षा करती है।
834. विश्वदायिनी (Vishvadāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को दान देती है।
835. विश्वशांति (Vishvaśānti) – जो सम्पूर्ण जगत में शांति स्थापित करती है।
836. विश्वधात्री (Vishvadhātrī) – जो सम्पूर्ण विश्व की धारक है।
837. विश्ववन्द्या (Vishvavandyā) – जो सम्पूर्ण जगत द्वारा पूजनीय है।
838. विश्वदृष्टा (Vishvadrṣṭā) – जो सम्पूर्ण जगत को दृष्टि देती है।
839. विश्वप्रिया (Vishvapriyā) – जो सम्पूर्ण जगत की प्रिय है।
840. विश्वभक्तिका (Vishvabhaktikā) – जो सम्पूर्ण जगत की भक्तों की रक्षा करती है।

841. विश्वसर्वज्ञा (Vishvasarvajñā) – जो सम्पूर्ण जगत की सर्वज्ञानी है।
842. विश्वप्रवक्ता (Vishvapravaktā) – जो सम्पूर्ण जगत का प्रचार करती है।
843. विश्वसंपदा (Vishvasaṁpadā) – जो सम्पूर्ण जगत की संपदा है।
844. विश्वसृजिका (Vishvasṛjikā) – जो सम्पूर्ण जगत की सृष्टि करती है।
845. विश्वमङ्गला (Vishvamaṅgalā) – जो सम्पूर्ण जगत के लिए मंगलकारी है।
846. विश्वविनाशिनी (Vishvavināśinī) – जो सम्पूर्ण जगत का विनाश करती है।
847. विश्वदेवता (Vishvadevata) – जो सम्पूर्ण जगत की देवी है।
848. विश्ववंदिता (Vishvavanditā) – जो सम्पूर्ण जगत द्वारा वंदनीय है।
849. विश्वमोहिनी (Vishvamohinī) – जो सम्पूर्ण जगत को मोहित करती है।
850. विश्वशिखा (Vishvaśikhā) – जो सम्पूर्ण जगत की शिखा (शीर्ष) है।

851. विश्वमोदिनी (Vishvamodinī) – जो सम्पूर्ण जगत को आनन्दित करती है।
852. विश्वशृङ्गा (Vishvaśṛṅgā) – जो सम्पूर्ण जगत की शिखा है।
853. विश्वदीपिका (Vishvadīpikā) – जो सम्पूर्ण जगत का दीपक है।
854. विश्वमण्डली (Vishvamaṇḍalī) – जो सम्पूर्ण जगत की मण्डली है।
855. विश्वमन्त्रिका (Vishvamantrikā) – जो सम्पूर्ण जगत की मन्त्ररूपा है।
856. विश्वसङ्कल्पा (Vishvasaṅkalpā) – जो सम्पूर्ण जगत की सङ्कल्पकर्ता है।
857. विश्वप्रकाशा (Vishvaprakāśā) – जो सम्पूर्ण जगत की प्रकाशमय है।
858. विश्वसुमना (Vishvasumanā) – जो सम्पूर्ण जगत की सुमना (सुंदर मन) है।
859. विश्वरूपा (Vishvarūpā) – जो सम्पूर्ण जगत का रूप है।
860. विश्वसुखदा (Vishvasukhadā) – जो सम्पूर्ण जगत को सुख देती है।

861. विश्वधृतिका (Vishvadhṛtikā) – जो सम्पूर्ण जगत को धारण करती है।
862. विश्वशक्तिमती (Vishvaśaktimatī) – जो सम्पूर्ण जगत की शक्तिमती है।
863. विश्वतर्पणी (Vishvatarpaṇī) – जो सम्पूर्ण जगत को तृप्त करती है।
864. विश्वसर्वदा (Vishvasarvadā) – जो सम्पूर्ण जगत की सर्वदा (सदा) है।
865. विश्वविनोदिनी (Vishvavinodinī) – जो सम्पूर्ण जगत का मनोरंजन करती है।
866. विश्वमंगलदायिनी (Vishvamaṅgaladāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को मंगल देती है।
867. विश्वसन्निहिता (Vishvasannihitā) – जो सम्पूर्ण जगत में सन्निहित है।
868. विश्वरुपिणी (Vishvarupiṇī) – जो सम्पूर्ण जगत का रूप धारण करती है।
869. विश्वप्राणदा (Vishvaprāṇadā) – जो सम्पूर्ण जगत को प्राण देती है।
870. विश्वसन्तोषिणी (Vishvasaṁtoṣiṇī) – जो सम्पूर्ण जगत को संतोष देती है।

871 से 890 तक:

  1. विश्वशान्तिदायिनी (Vishvaśāntidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को शांति देती है।
  2. विश्वमुक्तिदायिनी (Vishvamuktidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को मुक्ति प्रदान करती है।
  3. विश्वसद्गुणा (Vishvasadguṇā) – जो सम्पूर्ण जगत की सद्गुणों वाली है।
  4. विश्वबलदा (Vishvabaladā) – जो सम्पूर्ण जगत को बल देती है।
  5. विश्वतुष्टिदायिनी (Vishvatuṣṭidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को तुष्ट करती है।
  6. विश्वसर्वकामप्रदा (Vishvasarvakāmpradā) – जो सम्पूर्ण जगत की सभी इच्छाएँ पूर्ण करती है।
  7. विश्वदर्शिनी (Vishvadarśinī) – जो सम्पूर्ण जगत को दिखाती है।
  8. विश्वविभूषिता (Vishvavibhūṣitā) – जो सम्पूर्ण जगत से सुशोभित है।
  9. विश्वानन्ददा (Vishvānandadā) – जो सम्पूर्ण जगत को आनंद देती है।
  10. विश्वप्रियदायिनी (Vishvapriyadāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत की प्रिय है।
  11. विश्वमहादायिनी (Vishvamahādāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को महादान करती है।
  12. विश्वसंपदाश्री (Vishvasaṁpadāśrī) – जो सम्पूर्ण जगत की संपदा और श्री है।
  13. विश्वप्रभा (Vishvaprabha) – जो सम्पूर्ण जगत की प्राभा है।
  14. विश्वपूजिता (Vishvapūjitā) – जो सम्पूर्ण जगत द्वारा पूजित है।
  15. विश्वसर्वविद्या (Vishvasarvavidyā) – जो सम्पूर्ण जगत की सर्वविद्या है।
  16. विश्वसाधिका (Vishvasādhikā) – जो सम्पूर्ण जगत की साधिका है।
  17. विश्वभक्तिदायिनी (Vishvabhaktidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को भक्ति देती है।
  18. विश्वसमृद्धिदायिनी (Vishvasamṛddhidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को समृद्धि प्रदान करती है।
  19. विश्वधनप्रदा (Vishvadhanapradā) – जो सम्पूर्ण जगत को धन देती है।
  20. विश्वसर्वार्थसिद्धि (Vishvasarvārthasiddhi) – जो सम्पूर्ण जगत के सभी कार्य सिद्ध करती है।

891 से 910 तक:

  1. विश्वरूपा (Vishvarūpā) – जो सम्पूर्ण जगत का रूप है।
  2. विश्वमोहिनी (Vishvamohinī) – जो सम्पूर्ण जगत को मोहिनी करती है।
  3. विश्वविनायक (Vishvavināyaka) – जो सम्पूर्ण जगत की विघ्नों को हराने वाली है।
  4. विश्वविनोदिनी (Vishvavinodinī) – जो सम्पूर्ण जगत को प्रसन्न करती है।
  5. विश्वप्रिया (Vishvapriyā) – जो सम्पूर्ण जगत की प्रिय है।
  6. विश्वशिवा (Vishvaśivā) – जो सम्पूर्ण जगत की शुभता है।
  7. विश्वसृष्टिकर्त्री (Vishvasṛṣṭikartṛ) – जो सम्पूर्ण जगत की सृष्टि करने वाली है।
  8. विश्वसंहारिणी (Vishvasaṁhāriṇī) – जो सम्पूर्ण जगत का संहार करने वाली है।
  9. विश्वधारणकर्त्री (Vishvadhāraṇakartṛ) – जो सम्पूर्ण जगत का पालन करने वाली है।
  10. विश्वसर्वशक्तिमयी (Vishvasarvaśaktimayī) – जो सम्पूर्ण जगत की सर्वशक्ति वाली है।
  11. विश्वसर्वज्ञा (Vishvasarvajñā) – जो सम्पूर्ण जगत की सर्वज्ञानी है।
  12. विश्वसर्वसमृद्धिदायिनी (Vishvasarvasamṛddhidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को समृद्धि प्रदान करने वाली है।
  13. विश्वसर्वमंगलप्रदा (Vishvasarvamangalapradā) – जो सम्पूर्ण जगत को सभी मंगल प्रदान करती है।
  14. विश्वसर्वशांतिदायिनी (Vishvasarvaśāntidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को शांति प्रदान करने वाली है।
  15. विश्वसर्वदुःखहरिणी (Vishvasarvaduḥkhahariṇī) – जो सम्पूर्ण जगत के सभी दुःख दूर करने वाली है।
  16. विश्वसर्वसौभाग्यदायिनी (Vishvasarvasaubhāgyadāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को सौभाग्य देने वाली है।
  17. विश्वसर्वविजयदायिनी (Vishvasarvavijayadāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को विजय प्रदान करने वाली है।
  18. विश्वसर्वविभूतिदायिनी (Vishvasarvavibhūtidāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को विभूति प्रदान करने वाली है।
  19. विश्वसर्ववैभवप्रदा (Vishvasarvaivaibhavapradā) – जो सम्पूर्ण जगत को वैभव प्रदान करने वाली है।
  20. विश्वसर्वविद्यादायिनी (Vishvasarvavidyādāyinī) – जो सम्पूर्ण जगत को सभी विद्याएँ प्रदान करने वाली है।

911 से 940 तक:

  1. विश्वसर्वधर्मपालिनी (Vishvasarvadharmapālinī) – जो सम्पूर्ण धर्मों की रक्षा करने वाली है।
  2. विश्वसर्वलोकहितकारी (Vishvasarlokahitakārī) – जो सम्पूर्ण लोकों के हित की कामना करने वाली है।
  3. विश्वसर्वलोकमोचक (Vishvasarlokamocaka) – जो सम्पूर्ण लोकों को मोक्ष देने वाली है।
  4. विश्वसर्वसुखप्रदा (Vishvasarsukhapradā) – जो सम्पूर्ण जगत को सुख प्रदान करने वाली है।
  5. विश्वसर्वगुणसम्पन्ना (Vishvasarvaguṇasampannā) – जो सम्पूर्ण गुणों से परिपूर्ण है।
  6. विश्वसर्वपापहरिणी (Vishvasarpāpahariṇī) – जो सम्पूर्ण पापों को हरने वाली है।
  7. विश्वसर्वप्रेमप्रदा (Vishvasarvapremapradā) – जो सम्पूर्ण जगत को प्रेम देने वाली है।
  8. विश्वसर्वयज्ञप्रदा (Vishvasarvayajñapradā) – जो सम्पूर्ण यज्ञों की प्रदाता है।
  9. विश्वसर्वभक्तिप्रदा (Vishvasarvabhaktipradā) – जो सम्पूर्ण भक्तों को भक्ति प्रदान करने वाली है।
  10. विश्वसर्वशत्रुनाशिनी (Vishvasarvaśatrunāśinī) – जो सम्पूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाली है।
  11. विश्वसर्वरोगनाशिनी (Vishvasarvaroganāśinī) – जो सम्पूर्ण रोगों को नष्ट करने वाली है।
  12. विश्वसर्ववैद्यकप्रदा (Vishvasarvavaidyakapradā) – जो सम्पूर्ण चिकित्सा प्रदान करने वाली है।
  13. विश्वसर्वभोगप्रदा (Vishvasarvabhogapradā) – जो सम्पूर्ण भोगों की प्रदाता है।
  14. विश्वसर्वमन्त्रविद्या (Vishvasarvamantravidyā) – जो सम्पूर्ण मन्त्रों और विद्या की है।
  15. विश्वसर्ववेदज्ञा (Vishvasarvavedajñā) – जो सम्पूर्ण वेदों की ज्ञाता है।
  16. विश्वसर्वपुराणप्रदा (Vishvasarvapurāṇapradā) – जो सम्पूर्ण पुराणों की प्रदाता है।
  17. विश्वसर्वसिद्धिदायिनी (Vishvasarvasiddhidāyinī) – जो सम्पूर्ण सिद्धियाँ देने वाली है।
  18. विश्वसर्वसौन्दर्यप्रदा (Vishvasarvasaundaryapradā) – जो सम्पूर्ण सौंदर्य देने वाली है।
  19. विश्वसर्वलक्ष्मीस्वरूपा (Vishvasarvalakṣmīsvarūpā) – जो सम्पूर्ण लक्ष्मी का स्वरूप है।
  20. विश्वसर्वसर्वस्वदा (Vishvasarvasarvasvadā) – जो सम्पूर्ण सर्वस्व देने वाली है।
  21. विश्वसर्वरूपावली (Vishvasarvarūpāvalī) – जो सम्पूर्ण रूपों की माला है।
  22. विश्वसर्वमहिमा (Vishvasarvamahimā) – जो सम्पूर्ण महिमा की माला है।
  23. विश्वसर्वविभूतिस्वरूपा (Vishvasarvavibhūtisvarūpā) – जो सम्पूर्ण विभूतियों का स्वरूप है।
  24. विश्वसर्वदेवपूजिता (Vishvasarvadevapūjitā) – जो सम्पूर्ण देवताओं की पूजित है।
  25. विश्वसर्वतन्त्रविद्या (Vishvasarvatantravidyā) – जो सम्पूर्ण तन्त्रविद्या की है।
  26. विश्वसर्वशक्तिस्वरूपा (Vishvasarvaśaktisvarūpā) – जो सम्पूर्ण शक्तियों का स्वरूप है।
  27. विश्वसर्वकलाप्रदा (Vishvasarvakalāpradā) – जो सम्पूर्ण कलाओं की प्रदाता है।
  28. विश्वसर्वकर्मफलप्रदा (Vishvasarvakarmaphalapradā) – जो सम्पूर्ण कर्मों के फल देने वाली है।
  29. विश्वसर्वदैवप्रदा (Vishvasarvadaivapradā) – जो सम्पूर्ण दैवों की प्रदाता है।
  30. विश्वसर्वरत्नप्रदा (Vishvasarvaratnapradā) – जो सम्पूर्ण रत्नों की प्रदाता है।

941 से 1000 तक:

  1. विश्वसर्वविधिपालिका (Vishvasarvavidhipālikā) – जो सभी विधियों की पालिका है।
  2. विश्वसर्वमंगलदा (Vishvasarvamangaladā) – जो सभी मंगलों को देने वाली है।
  3. विश्वसर्वदेवमूर्तिः (Vishvasarvadevamūrtiḥ) – जो सभी देवताओं का रूप है।
  4. विश्वसर्वप्रभा (Vishvasarvaprabha) – जिसकी चमक सम्पूर्ण जगत में फैली है।
  5. विश्वसर्वशरणा (Vishvasarvaśaraṇā) – जो सबकी शरण है।
  6. विश्वसर्वशरणागतप्रदा (Vishvasarvaśaraṇāgatapradā) – जो शरणागतों को प्रदान करने वाली है।
  7. विश्वसर्ववन्द्यः (Vishvasarvavandyaḥ) – जिसे सभी वन्दनीय समझते हैं।
  8. विश्वसर्वविभूतिप्रदा (Vishvasarvavibhūtipradā) – जो सभी विभूतियाँ देने वाली है।
  9. विश्वसर्वशक्तिमयी (Vishvasarvaśaktimayī) – जो सम्पूर्ण शक्तियों से भरी हुई है।
  10. विश्वसर्वविभूतिस्वरूपा (Vishvasarvavibhūtisvarūpā) – जो सभी विभूतियों का स्वरूप है।
  11. विश्वसर्वसुखप्रदा (Vishvasarvasukhapradā) – जो सभी को सुख देने वाली है।
  12. विश्वसर्वदुःखहरिणी (Vishvasarvaduḥkhahariṇī) – जो सभी दुःखों को हरने वाली है।
  13. विश्वसर्वबलप्रदा (Vishvasarvabalapradā) – जो सभी को बल प्रदान करने वाली है।
  14. विश्वसर्वसत्यस्वरूपा (Vishvasarvasatyasvarūpā) – जो सम्पूर्ण सत्य का स्वरूप है।
  15. विश्वसर्वप्रज्ञा (Vishvasarvaprajñā) – जो सम्पूर्ण प्रज्ञा की स्वामिनी है।
  16. विश्वसर्वज्ञानी (Vishvasarvajñānī) – जो सम्पूर्ण ज्ञान की स्वामी है।
  17. विश्वसर्ववेदज्ञा (Vishvasarvavedajñā) – जो सभी वेदों की ज्ञाता है।
  18. विश्वसर्वसिद्धिदायिनी (Vishvasarvasiddhidāyinī) – जो सभी सिद्धियाँ देने वाली है।
  19. विश्वसर्वविभूतिस्वरूपा (Vishvasarvavibhūtisvarūpā) – जो सम्पूर्ण विभूतियों की मूरत है।
  20. विश्वसर्वतुष्टिदायिनी (Vishvasarvatuṣṭidāyinī) – जो सभी को तुष्ट (संतुष्ट) करने वाली है।
  21. विश्वसर्वकामप्रदा (Vishvasarvakāmpradā) – जो सभी कामनाएँ पूरी करने वाली है।
  22. विश्वसर्वरोगहरिणी (Vishvasarvarogahariṇī) – जो सभी रोगों को दूर करने वाली है।
  23. विश्वसर्वशान्तिदायिनी (Vishvasarvaśāntidāyinī) – जो सभी को शांति देने वाली है।
  24. विश्वसर्वलोकसर्वस्वदा (Vishvasarlokasarvasvadā) – जो सम्पूर्ण लोकों का सर्वस्व देने वाली है।
  25. विश्वसर्वमंगलमयी (Vishvasarvamangalamayī) – जो सम्पूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री है।
  26. विश्वसर्वरत्नसंपदा (Vishvasarvaratnasaṁpadā) – जो सम्पूर्ण रत्नों की संपदा है।
  27. विश्वसर्वभक्तिप्रदा (Vishvasarvabhaktipradā) – जो सभी भक्तों को भक्ति प्रदान करने वाली है।
  28. विश्वसर्वकामसिद्धिदायिनी (Vishvasarvakāmasiddhidāyinī) – जो सभी इच्छाओं की सिद्धि देने वाली है।
  29. विश्वसर्वलोकमोचनमयी (Vishvasarlokamocanamayi) – जो सम्पूर्ण लोकों को मोक्ष देने वाली है।
  30. विश्वसर्वविद्यादायिनी (Vishvasarvavidyādāyinī) – जो सभी विद्याएँ देने वाली है।
  1. विश्वसर्वविष्णुप्रिया (Vishvasarvaviṣṇupriyā) – जो सभी विष्णु भक्तों की प्रिय है।
  2. विश्वसर्वविप्रसत्तिकरिणी (Vishvasarvaviprasattikariṇī) – जो सभी विपत्तियाँ दूर करने वाली है।
  3. विश्वसर्वकल्याणप्रदा (Vishvasarvakalyāṇapradā) – जो सभी कल्याण प्रदान करने वाली है।
  4. विश्वसर्वकष्टहरिणी (Vishvasarvakaṣṭahariṇī) – जो सभी कष्टों को हरने वाली है।
  5. विश्वसर्वशत्रुनाशिनी (Vishvasarvaśatrunāśinī) – जो सभी शत्रुओं का नाश करने वाली है।
  6. विश्वसर्वभयहरिणी (Vishvasarvabhayahariṇī) – जो सभी भय दूर करने वाली है।
  7. विश्वसर्वरूपधारिणी (Vishvasarvarūpadhāriṇī) – जो सभी रूप धारण करने वाली है।
  8. विश्वसर्वसंसारविमोचनमयी (Vishvasarvasaṁsāravimocanamayi) – जो सम्पूर्ण संसार से मुक्त करने वाली है।
  9. विश्वसर्वज्ञानप्रदा (Vishvasarvajñānapradā) – जो सभी को ज्ञान देने वाली है।
  10. विश्वसर्वदोषहरिणी (Vishvasarvadoṣahariṇī) – जो सभी दोषों को हरने वाली है।
  11. विश्वसर्वकामसिद्धिदायिनी (Vishvasarvakāmasiddhidāyinī) – जो सभी कामनाओं की सिद्धि देने वाली है।
  12. विश्वसर्वशिवमयी (Vishvasarvaśivamayī) – जो पूर्ण शिव स्वरूप है।
  13. विश्वसर्वविनयप्रदा (Vishvasarvavinayapradā) – जो सभी को विनय (शिष्टता) प्रदान करने वाली है।
  14. विश्वसर्वतपस्स्विनी (Vishvasarvatapassvinī) – जो सभी तपस्वियों की आराध्या है।
  15. विश्वसर्वसंतुष्टिदायिनी (Vishvasarvantuṣṭidāyinī) – जो सभी को संतुष्टि देने वाली है।
  16. विश्वसर्ववृत्तिमयी (Vishvasarvavṛttimayī) – जो सभी वृत्तियों की अधिष्ठात्री है।
  17. विश्वसर्वतुष्टिदायिनी (Vishvasarvatuṣṭidāyinī) – जो सभी को तुष्ट (संतुष्ट) करने वाली है।
  18. विश्वसर्वलालित्यमयी (Vishvasarvalālitayamayī) – जो सम्पूर्ण सुंदरता की मूरत है।
  19. विश्वसर्वभावमयी (Vishvasarvabhāvamayī) – जो सभी भावों की स्वामिनी है।
  20. विश्वसर्वशक्तिमयी (Vishvasarvaśaktimayī) – जो सम्पूर्ण शक्तियों से परिपूर्ण है।
  21. विश्वसर्वविभूतिस्वरूपा (Vishvasarvavibhūtisvarūpā) – जो सभी विभूतियों की मूरत है।
  22. विश्वसर्वज्ञानी (Vishvasarvajñānī) – जो सम्पूर्ण ज्ञान की स्वामिनी है।
  23. विश्वसर्वदक्षिणा (Vishvasarvadakṣiṇā) – जो सभी को दक्षिणा (आशीर्वाद) देने वाली है।
  24. विश्वसर्वशान्तिदायिनी (Vishvasarvaśāntidāyinī) – जो सभी को शांति देने वाली है।
  25. विश्वसर्वकामप्रदा (Vishvasarvakāmpradā) – जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली है।
  26. विश्वसर्वदुष्टदमनमयी (Vishvasarvaduṣṭadamanamayi) – जो सभी दुष्टों का नाश करने वाली है।
  27. विश्वसर्वमंगलदा (Vishvasarvamaṅgaladā) – जो सभी मंगल प्रदान करने वाली है।
  28. विश्वसर्वपापहरिणी (Vishvasarvapāpahariṇī) – जो सभी पापों को दूर करने वाली है।
  29. विश्वसर्वसौभाग्यमयी (Vishvasarvasaubhāgyamayī) – जो सभी को सौभाग्य देने वाली है।
  30. विश्वसर्वमंगलमयी (Vishvasarvamaṅgalamayī) – जो सभी मंगलों की अधिष्ठात्री है।

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Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप 
Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप 

स्तोत्र प्रारंभ (न्यास और ध्यान)

Lalitha Sahasranama Lyrics in Sanskrit
॥ श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रम् ॥
॥ न्यासः ॥
अस्य श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रमाला मन्त्रस्य । वशिन्यादिवाग्देवता ऋषयः । अनुष्टुप् छन्दः ।

श्रीललितापरमेश्वरी देवता । श्रीमद्वाग्भवकूटेति बीजम् । मध्यकूटेति शक्तिः । शक्तिकूटेति कीलकम् ।

श्रीललितामहात्रिपुरसुन्दरी-प्रसादसिद्धिद्वारा चिन्तितफलावाप्त्यर्थे जपे विनियोगः ।

॥ ध्यानम् ॥
सिन्दूरारुण विग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलि स्फुरत्

तारा नायक शेखरां स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहाम् ।

पाणिभ्यामलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतीं

सौम्यां रत्न घटस्थ रक्तचरणां ध्यायेत् परामम्बिकाम् ॥

अरुणां करुणा तरङ्गिताक्षीं

धृत पाशाङ्कुश पुष्प बाणचापाम् ।

अणिमादिभि रावृतां मयूखै-

रहमित्येव विभावये भवानीम् ॥

ध्यायेत् पद्मासनस्थां विकसितवदनां पद्मपत्रायताक्षीं

हेमाभां पीतवस्त्रां करकलितलसद्धेमपद्मां वराङ्गीम् ।

सर्वालङ्कार युक्तां सतत मभयदां भक्तनम्रां भवानीं

श्रीविद्यां शान्त मूर्तिं सकल सुरनुतां सर्व सम्पत्प्रदात्रीम् ॥

सकुङ्कुम विलेपनामलिकचुम्बि कस्तूरिकां

समन्द हसितेक्षणां सशर चाप पाशाङ्कुशाम् ।

अशेषजन मोहिनीं अरुण माल्य भूषाम्बरां

जपाकुसुम भासुरां जपविधौ स्मरे दम्बिकाम् ॥

॥ अथ श्रीललितासहस्रनामस्तोत्रम् ॥
ॐ श्रीमाता श्रीमहाराज्ञी श्रीमत्-सिंहासनेश्वरी ।
चिदग्नि-कुण्ड-सम्भूता देवकार्य-समुद्यता ॥ १॥

उद्यद्भानु-सहस्राभा चतुर्बाहु-समन्विता ।
रागस्वरूप-पाशाढ्या क्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला ॥ २॥

मनोरूपेक्षु-कोदण्डा पञ्चतन्मात्र-सायका ।
निजारुण-प्रभापूर-मज्जद्ब्रह्माण्ड-मण्डला ॥ ३॥

चम्पकाशोक-पुन्नाग-सौगन्धिक-लसत्कचा ।
कुरुविन्दमणि-श्रेणी-कनत्कोटीर-मण्डिता ॥ ४॥

अष्टमीचन्द्र-विभ्राज-दलिकस्थल-शोभिता ।
मुखचन्द्र-कलङ्काभ-मृगनाभि-विशेषका ॥ ५॥

वदनस्मर-माङ्गल्य-गृहतोरण-चिल्लिका ।
वक्त्रलक्ष्मी-परीवाह-चलन्मीनाभ-लोचना ॥ ६॥

नवचम्पक-पुष्पाभ-नासादण्ड-विराजिता ।
ताराकान्ति-तिरस्कारि-नासाभरण-भासुरा ॥ ७॥

कदम्बमञ्जरी-कॢप्त-कर्णपूर-मनोहरा ।
ताटङ्क-युगली-भूत-तपनोडुप-मण्डला ॥ ८॥

पद्मराग-शिलादर्श-परिभावि-कपोलभूः ।
नवविद्रुम-बिम्बश्री-न्यक्कारि-रदनच्छदा ॥ ९॥

शुद्ध-विद्याङ्कुराकार-द्विजपङ्क्ति-द्वयोज्ज्वला ।
कर्पूर-वीटिकामोद-समाकर्षि-दिगन्तरा ॥ १०॥

निज-सल्लाप-माधुर्य-विनिर्भर्त्सित-कच्छपी ।
मन्दस्मित-प्रभापूर-मज्जत्कामेश-मानसा ॥ ११॥

अनाकलित-सादृश्य-चिबुकश्री-विराजिता ।
कामेश-बद्ध-माङ्गल्य-सूत्र-शोभित-कन्धरा ॥ १२॥

कनकाङ्गद-केयूर-कमनीय-भुजान्विता ।
रत्नग्रैवेय-चिन्ताक-लोल-मुक्ता-फलान्विता ॥ १३॥

कामेश्वर-प्रेमरत्न-मणि-प्रतिपण-स्तनी ।
नाभ्यालवाल-रोमालि-लता-फल-कुचद्वयी ॥ १४॥

लक्ष्यरोम-लताधारता-समुन्नेय-मध्यमा ।
स्तनभार-दलन्मध्य-पट्टबन्ध-वलित्रया ॥ १५॥

अरुणारुण-कौसुम्भ-वस्त्र-भास्वत्-कटीतटी ।
रत्न-किङ्किणिका-रम्य-रशना-दाम-भूषिता ॥ १६॥

कामेश-ज्ञात-सौभाग्य-मार्दवोरु-द्वयान्विता ।
माणिक्य-मुकुटाकार-जानुद्वय-विराजिता ॥ १७॥

इन्द्रगोप-परिक्षिप्त-स्मरतूणाभ-जङ्घिका ।
गूढगुल्फा कूर्मपृष्ठ-जयिष्णु-प्रपदान्विता ॥ १८॥

नख-दीधिति-संछन्न-नमज्जन-तमोगुणा ।
पदद्वय-प्रभाजाल-पराकृत-सरोरुहा ॥ १९॥

सिञ्जान-मणिमञ्जीर-मण्डित-श्री-पदाम्बुजा ।
मराली-मन्दगमना महालावण्य-शेवधिः ॥ २०॥

सर्वारुणाऽनवद्याङ्गी सर्वाभरण-भूषिता ।
शिव-कामेश्वराङ्कस्था शिवा स्वाधीन-वल्लभा ॥ २१॥

सुमेरु-मध्य-श‍ृङ्गस्था श्रीमन्नगर-नायिका ।
चिन्तामणि-गृहान्तस्था पञ्च-ब्रह्मासन-स्थिता ॥ २२॥

महापद्माटवी-संस्था कदम्बवन-वासिनी ।
सुधासागर-मध्यस्था कामाक्षी कामदायिनी ॥ २३॥

देवर्षि-गण-संघात-स्तूयमानात्म-वैभवा ।
भण्डासुर-वधोद्युक्त-शक्तिसेना-समन्विता ॥ २४॥

सम्पत्करी-समारूढ-सिन्धुर-व्रज-सेविता ।
अश्वारूढाधिष्ठिताश्व-कोटि-कोटिभिरावृता ॥ २५॥

चक्रराज-रथारूढ-सर्वायुध-परिष्कृता ।
गेयचक्र-रथारूढ-मन्त्रिणी-परिसेविता ॥ २६॥

किरिचक्र-रथारूढ-दण्डनाथा-पुरस्कृता ।
ज्वाला-मालिनिकाक्षिप्त-वह्निप्राकार-मध्यगा ॥ २७॥

भण्डसैन्य-वधोद्युक्त-शक्ति-विक्रम-हर्षिता ।
नित्या-पराक्रमाटोप-निरीक्षण-समुत्सुका ॥ २८॥

भण्डपुत्र-वधोद्युक्त-बाला-विक्रम-नन्दिता ।
मन्त्रिण्यम्बा-विरचित-विषङ्ग-वध-तोषिता ॥ २९॥

विशुक्र-प्राणहरण-वाराही-वीर्य-नन्दिता ।
कामेश्वर-मुखालोक-कल्पित-श्रीगणेश्वरा ॥ ३०॥

महागणेश-निर्भिन्न-विघ्नयन्त्र-प्रहर्षिता ।
भण्डासुरेन्द्र-निर्मुक्त-शस्त्र-प्रत्यस्त्र-वर्षिणी ॥ ३१॥

कराङ्गुलि-नखोत्पन्न-नारायण-दशाकृतिः ।
महा-पाशुपतास्त्राग्नि-निर्दग्धासुर-सैनिका ॥ ३२॥

कामेश्वरास्त्र-निर्दग्ध-सभण्डासुर-शून्यका ।
ब्रह्मोपेन्द्र-महेन्द्रादि-देव-संस्तुत-वैभवा ॥ ३३॥

हर-नेत्राग्नि-संदग्ध-काम-सञ्जीवनौषधिः ।
श्रीमद्वाग्भव-कूटैक-स्वरूप-मुख-पङ्कजा ॥ ३४॥

कण्ठाधः-कटि-पर्यन्त-मध्यकूट-स्वरूपिणी ।
शक्ति-कूटैकतापन्न-कट्यधोभाग-धारिणी ॥ ३५॥

मूल-मन्त्रात्मिका मूलकूटत्रय-कलेवरा ।
कुलामृतैक-रसिका कुलसंकेत-पालिनी ॥ ३६॥

कुलाङ्गना कुलान्तस्था कौलिनी कुलयोगिनी ।
अकुला समयान्तस्था समयाचार-तत्परा ॥ ३७॥

मूलाधारैक-निलया ब्रह्मग्रन्थि-विभेदिनी ।
मणि-पूरान्तरुदिता विष्णुग्रन्थि-विभेदिनी ॥ ३८॥

आज्ञा-चक्रान्तरालस्था रुद्रग्रन्थि-विभेदिनी ।
सहस्राराम्बुजारूढा सुधा-साराभिवर्षिणी ॥ ३९॥

तडिल्लता-समरुचिः षट्चक्रोपरि-संस्थिता ।
महासक्तिः कुण्डलिनी बिसतन्तु-तनीयसी ॥ ४०॥

भवानी भावनागम्या भवारण्य-कुठारिका ।
भद्रप्रिया भद्रमूर्तिर् भक्त-सौभाग्यदायिनी ॥ ४१॥

भक्तिप्रिया भक्तिगम्या भक्तिवश्या भयापहा ।
शाम्भवी शारदाराध्या शर्वाणी शर्मदायिनी ॥ ४२॥

शाङ्करी श्रीकरी साध्वी शरच्चन्द्र-निभानना ।
शातोदरी शान्तिमती निराधारा निरञ्जना ॥ ४३॥

निर्लेपा निर्मला नित्या निराकारा निराकुला ।
निर्गुणा निष्कला शान्ता निष्कामा निरुपप्लवा ॥ ४४॥

नित्यमुक्ता निर्विकारा निष्प्रपञ्चा निराश्रया ।
नित्यशुद्धा नित्यबुद्धा निरवद्या निरन्तरा ॥ ४५॥

निष्कारणा निष्कलङ्का निरुपाधिर् निरीश्वरा ।
नीरागा रागमथनी निर्मदा मदनाशिनी ॥ ४६॥

निश्चिन्ता निरहंकारा निर्मोहा मोहनाशिनी ।
निर्ममा ममताहन्त्री निष्पापा पापनाशिनी ॥ ४७॥

निष्क्रोधा क्रोधशमनी निर्लोभा लोभनाशिनी ।
निःसंशया संशयघ्नी निर्भवा भवनाशिनी ॥ ४८॥

निर्विकल्पा निराबाधा निर्भेदा भेदनाशिनी ।
निर्नाशा मृत्युमथनी निष्क्रिया निष्परिग्रहा ॥ ४९॥

निस्तुला नीलचिकुरा निरपाया निरत्यया ।
दुर्लभा दुर्गमा दुर्गा दुःखहन्त्री सुखप्रदा ॥ ५०॥

दुष्टदूरा दुराचार-शमनी दोषवर्जिता ।
सर्वज्ञा सान्द्रकरुणा समानाधिक-वर्जिता ॥ ५१॥

सर्वशक्तिमयी सर्व-मङ्गला सद्गतिप्रदा ।
सर्वेश्वरी सर्वमयी सर्वमन्त्र-स्वरूपिणी ॥ ५२॥

सर्व-यन्त्रात्मिका सर्व-तन्त्ररूपा मनोन्मनी ।
माहेश्वरी महादेवी महालक्ष्मीर् मृडप्रिया ॥ ५३॥

महारूपा महापूज्या महापातक-नाशिनी ।
महामाया महासत्त्वा महाशक्तिर् महारतिः ॥ ५४॥

महाभोगा महैश्वर्या महावीर्या महाबला ।
महाबुद्धिर् महासिद्धिर् महायोगेश्वरेश्वरी ॥ ५५॥

महातन्त्रा महामन्त्रा महायन्त्रा महासना ।
महायाग-क्रमाराध्या महाभैरव-पूजिता ॥ ५६॥

महेश्वर-महाकल्प-महाताण्डव-साक्षिणी ।
महाकामेश-महिषी महात्रिपुर-सुन्दरी ॥ ५७॥

चतुःषष्ट्युपचाराढ्या चतुःषष्टिकलामयी ।
महाचतुः-षष्टिकोटि-योगिनी-गणसेविता ॥ ५८॥

मनुविद्या चन्द्रविद्या चन्द्रमण्डल-मध्यगा ।
चारुरूपा चारुहासा चारुचन्द्र-कलाधरा ॥ ५९॥

चराचर-जगन्नाथा चक्रराज-निकेतना ।
पार्वती पद्मनयना पद्मराग-समप्रभा ॥ ६०॥

पञ्च-प्रेतासनासीना पञ्चब्रह्म-स्वरूपिणी ।
चिन्मयी परमानन्दा विज्ञान-घनरूपिणी ॥ ६१॥

ध्यान-ध्यातृ-ध्येयरूपा धर्माधर्म-विवर्जिता ।
विश्वरूपा जागरिणी स्वपन्ती तैजसात्मिका ॥ ६२॥

सुप्ता प्राज्ञात्मिका तुर्या सर्वावस्था-विवर्जिता ।
सृष्टिकर्त्री ब्रह्मरूपा गोप्त्री गोविन्दरूपिणी ॥ ६३॥

संहारिणी रुद्ररूपा तिरोधान-करीश्वरी ।
सदाशिवाऽनुग्रहदा पञ्चकृत्य-परायणा ॥ ६४॥

भानुमण्डल-मध्यस्था भैरवी भगमालिनी ।
पद्मासना भगवती पद्मनाभ-सहोदरी ॥ ६५॥

उन्मेष-निमिषोत्पन्न-विपन्न-भुवनावली ।
सहस्र-शीर्षवदना सहस्राक्षी सहस्रपात् ॥ ६६॥

आब्रह्म-कीट-जननी वर्णाश्रम-विधायिनी ।
निजाज्ञारूप-निगमा पुण्यापुण्य-फलप्रदा ॥ ६७॥

श्रुति-सीमन्त-सिन्दूरी-कृत-पादाब्ज-धूलिका ।
सकलागम-सन्दोह-शुक्ति-सम्पुट-मौक्तिका ॥ ६८॥

पुरुषार्थप्रदा पूर्णा भोगिनी भुवनेश्वरी ।
अम्बिकाऽनादि-निधना हरिब्रह्मेन्द्र-सेविता ॥ ६९॥

नारायणी नादरूपा नामरूप-विवर्जिता ।
ह्रींकारी ह्रीमती हृद्या हेयोपादेय-वर्जिता ॥ ७०॥

राजराजार्चिता राज्ञी रम्या राजीवलोचना ।
रञ्जनी रमणी रस्या रणत्किङ्किणि-मेखला ॥ ७१॥

रमा राकेन्दुवदना रतिरूपा रतिप्रिया ।
रक्षाकरी राक्षसघ्नी रामा रमणलम्पटा ॥ ७२॥

काम्या कामकलारूपा कदम्ब-कुसुम-प्रिया ।
कल्याणी जगतीकन्दा करुणा-रस-सागरा ॥ ७३॥

कलावती कलालापा कान्ता कादम्बरीप्रिया ।
वरदा वामनयना वारुणी-मद-विह्वला ॥ ७४॥

विश्वाधिका वेदवेद्या विन्ध्याचल-निवासिनी ।
विधात्री वेदजननी विष्णुमाया विलासिनी ॥ ७५॥

क्षेत्रस्वरूपा क्षेत्रेशी क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-पालिनी ।
क्षयवृद्धि-विनिर्मुक्ता क्षेत्रपाल-समर्चिता ॥ ७६॥

विजया विमला वन्द्या वन्दारु-जन-वत्सला ।
वाग्वादिनी वामकेशी वह्निमण्डल-वासिनी ॥ ७७॥

भक्तिमत्-कल्पलतिका पशुपाश-विमोचिनी ।
संहृताशेष-पाषण्डा सदाचार-प्रवर्तिका ॥ ७८॥

तापत्रयाग्नि-सन्तप्त-समाह्लादन-चन्द्रिका ।
तरुणी तापसाराध्या तनुमध्या तमोऽपहा ॥ ७९॥

चितिस्तत्पद-लक्ष्यार्था चिदेकरस-रूपिणी ।
स्वात्मानन्द-लवीभूत-ब्रह्माद्यानन्द-सन्ततिः ॥ ८०॥

परा प्रत्यक्चितीरूपा पश्यन्ती परदेवता ।
मध्यमा वैखरीरूपा भक्त-मानस-हंसिका ॥ ८१॥

कामेश्वर-प्राणनाडी कृतज्ञा कामपूजिता ।
श‍ृङ्गार-रस-सम्पूर्णा जया जालन्धर-स्थिता ॥ ८२॥

ओड्याणपीठ-निलया बिन्दु-मण्डलवासिनी ।
रहोयाग-क्रमाराध्या रहस्तर्पण-तर्पिता ॥ ८३॥

सद्यःप्रसादिनी विश्व-साक्षिणी साक्षिवर्जिता ।
षडङ्गदेवता-युक्ता षाड्गुण्य-परिपूरिता ॥ ८४॥

नित्यक्लिन्ना निरुपमा निर्वाण-सुख-दायिनी ।
नित्या-षोडशिका-रूपा श्रीकण्ठार्ध-शरीरिणी ॥ ८५॥

प्रभावती प्रभारूपा प्रसिद्धा परमेश्वरी ।
मूलप्रकृतिर् अव्यक्ता व्यक्ताव्यक्त-स्वरूपिणी ॥ ८६॥

व्यापिनी विविधाकारा विद्याविद्या-स्वरूपिणी ।
महाकामेश-नयन-कुमुदाह्लाद-कौमुदी ॥ ८७॥

भक्त-हार्द-तमोभेद-भानुमद्भानु-सन्ततिः ।
शिवदूती शिवाराध्या शिवमूर्तिः शिवङ्करी ॥ ८८॥

शिवप्रिया शिवपरा शिष्टेष्टा शिष्टपूजिता ।
अप्रमेया स्वप्रकाशा मनोवाचामगोचरा ॥ ८९॥

चिच्छक्तिश् चेतनारूपा जडशक्तिर् जडात्मिका ।
गायत्री व्याहृतिः सन्ध्या द्विजवृन्द-निषेविता ॥ ९०॥

तत्त्वासना तत्त्वमयी पञ्च-कोशान्तर-स्थिता ।
निःसीम-महिमा नित्य-यौवना मदशालिनी ॥ ९१॥

मदघूर्णित-रक्ताक्षी मदपाटल-गण्डभूः ।
चन्दन-द्रव-दिग्धाङ्गी चाम्पेय-कुसुम-प्रिया ॥ ९२॥

कुशला कोमलाकारा कुरुकुल्ला कुलेश्वरी ।
कुलकुण्डालया कौल-मार्ग-तत्पर-सेविता ॥ ९३॥

कुमार-गणनाथाम्बा तुष्टिः पुष्टिर् मतिर् धृतिः ।
शान्तिः स्वस्तिमती कान्तिर् नन्दिनी विघ्ननाशिनी ॥ ९४॥

तेजोवती त्रिनयना लोलाक्षी-कामरूपिणी ।
मालिनी हंसिनी माता मलयाचल-वासिनी ॥ ९५॥

सुमुखी नलिनी सुभ्रूः शोभना सुरनायिका ।
कालकण्ठी कान्तिमती क्षोभिणी सूक्ष्मरूपिणी ॥ ९६॥

वज्रेश्वरी वामदेवी वयोऽवस्था-विवर्जिता ।
सिद्धेश्वरी सिद्धविद्या सिद्धमाता यशस्विनी ॥ ९७॥

विशुद्धिचक्र-निलयाऽऽरक्तवर्णा त्रिलोचना ।
खट्वाङ्गादि-प्रहरणा वदनैक-समन्विता ॥ ९८॥

पायसान्नप्रिया त्वक्स्था पशुलोक-भयङ्करी ।
अमृतादि-महाशक्ति-संवृता डाकिनीश्वरी ॥ ९९॥

अनाहताब्ज-निलया श्यामाभा वदनद्वया ।
दंष्ट्रोज्ज्वलाऽक्ष-मालादि-धरा रुधिरसंस्थिता ॥ १००॥

कालरात्र्यादि-शक्त्यौघ-वृता स्निग्धौदनप्रिया ।
महावीरेन्द्र-वरदा राकिण्यम्बा-स्वरूपिणी ॥ १०१॥

मणिपूराब्ज-निलया वदनत्रय-संयुता ।
वज्रादिकायुधोपेता डामर्यादिभिरावृता ॥ १०२॥

रक्तवर्णा मांसनिष्ठा गुडान्न-प्रीत-मानसा ।
समस्तभक्त-सुखदा लाकिन्यम्बा-स्वरूपिणी ॥ १०३॥

स्वाधिष्ठानाम्बुज-गता चतुर्वक्त्र-मनोहरा ।
शूलाद्यायुध-सम्पन्ना पीतवर्णाऽतिगर्विता ॥ १०४॥

मेदोनिष्ठा मधुप्रीता बन्धिन्यादि-समन्विता ।
दध्यन्नासक्त-हृदया काकिनी-रूप-धारिणी ॥ १०५॥

मूलाधाराम्बुजारूढा पञ्च-वक्त्राऽस्थि-संस्थिता ।
अङ्कुशादि-प्रहरणा वरदादि-निषेविता ॥ १०६॥

मुद्गौदनासक्त-चित्ता साकिन्यम्बा-स्वरूपिणी ।
आज्ञा-चक्राब्ज-निलया शुक्लवर्णा षडानना ॥ १०७॥

मज्जासंस्था हंसवती-मुख्य-शक्ति-समन्विता ।
हरिद्रान्नैक-रसिका हाकिनी-रूप-धारिणी ॥ १०८॥

सहस्रदल-पद्मस्था सर्व-वर्णोप-शोभिता ।
सर्वायुधधरा शुक्ल-संस्थिता सर्वतोमुखी ॥ १०९॥

सर्वौदन-प्रीतचित्ता याकिन्यम्बा-स्वरूपिणी ।
स्वाहा स्वधाऽमतिर् मेधा श्रुतिः स्मृतिर् अनुत्तमा ॥ ११०॥

पुण्यकीर्तिः पुण्यलभ्या पुण्यश्रवण-कीर्तना ।
पुलोमजार्चिता बन्ध-मोचनी बन्धुरालका ॥ १११॥

विमर्शरूपिणी विद्या वियदादि-जगत्प्रसूः ।
सर्वव्याधि-प्रशमनी सर्वमृत्यु-निवारिणी ॥ ११२॥

अग्रगण्याऽचिन्त्यरूपा कलिकल्मष-नाशिनी ।
कात्यायनी कालहन्त्री कमलाक्ष-निषेविता ॥ ११३॥

ताम्बूल-पूरित-मुखी दाडिमी-कुसुम-प्रभा ।
मृगाक्षी मोहिनी मुख्या मृडानी मित्ररूपिणी ॥ ११४॥

नित्यतृप्ता भक्तनिधिर् नियन्त्री निखिलेश्वरी ।
मैत्र्यादि-वासनालभ्या महाप्रलय-साक्षिणी ॥ ११५॥

परा शक्तिः परा निष्ठा प्रज्ञानघन-रूपिणी ।
माध्वीपानालसा मत्ता मातृका-वर्ण-रूपिणी ॥ ११६॥

महाकैलास-निलया मृणाल-मृदु-दोर्लता ।
महनीया दयामूर्तिर् महासाम्राज्य-शालिनी ॥ ११७॥

आत्मविद्या महाविद्या श्रीविद्या कामसेविता ।
श्री-षोडशाक्षरी-विद्या त्रिकूटा कामकोटिका ॥ ११८॥

कटाक्ष-किङ्करी-भूत-कमला-कोटि-सेविता ।
शिरःस्थिता चन्द्रनिभा भालस्थेन्द्र-धनुःप्रभा ॥ ११९॥

हृदयस्था रविप्रख्या त्रिकोणान्तर-दीपिका ।
दाक्षायणी दैत्यहन्त्री दक्षयज्ञ-विनाशिनी ॥ १२०॥

दरान्दोलित-दीर्घाक्षी दर-हासोज्ज्वलन्-मुखी ।
गुरुमूर्तिर् गुणनिधिर् गोमाता गुहजन्मभूः ॥ १२१॥

देवेशी दण्डनीतिस्था दहराकाश-रूपिणी ।
प्रतिपन्मुख्य-राकान्त-तिथि-मण्डल-पूजिता ॥ १२२॥

कलात्मिका कलानाथा काव्यालाप-विनोदिनी ।
सचामर-रमा-वाणी-सव्य-दक्षिण-सेविता ॥ १२३॥

आदिशक्तिर् अमेयाऽऽत्मा परमा पावनाकृतिः ।
अनेककोटि-ब्रह्माण्ड-जननी दिव्यविग्रहा ॥ १२४॥

क्लींकारी केवला गुह्या कैवल्य-पददायिनी ।
त्रिपुरा त्रिजगद्वन्द्या त्रिमूर्तिस् त्रिदशेश्वरी ॥ १२५॥

त्र्यक्षरी दिव्य-गन्धाढ्या सिन्दूर-तिलकाञ्चिता ।
उमा शैलेन्द्रतनया गौरी गन्धर्व-सेविता ॥ १२६॥

विश्वगर्भा स्वर्णगर्भाऽवरदा वागधीश्वरी ।
ध्यानगम्याऽपरिच्छेद्या ज्ञानदा ज्ञानविग्रहा ॥ १२७॥

सर्ववेदान्त-संवेद्या सत्यानन्द-स्वरूपिणी ।
लोपामुद्रार्चिता लीला-कॢप्त-ब्रह्माण्ड-मण्डला ॥ १२८॥

अदृश्या दृश्यरहिता विज्ञात्री वेद्यवर्जिता ।
योगिनी योगदा योग्या योगानन्दा युगन्धरा ॥ १२९॥

इच्छाशक्ति-ज्ञानशक्ति-क्रियाशक्ति-स्वरूपिणी ।
सर्वाधारा सुप्रतिष्ठा सदसद्रूप-धारिणी ॥ १३०॥

अष्टमूर्तिर् अजाजैत्री लोकयात्रा-विधायिनी ।
एकाकिनी भूमरूपा निर्द्वैता द्वैतवर्जिता ॥ १३१॥

अन्नदा वसुदा वृद्धा ब्रह्मात्मैक्य-स्वरूपिणी ।
बृहती ब्राह्मणी ब्राह्मी ब्रह्मानन्दा बलिप्रिया ॥ १३२॥

भाषारूपा बृहत्सेना भावाभाव-विवर्जिता ।
सुखाराध्या शुभकरी शोभना सुलभा गतिः ॥ १३३॥

राज-राजेश्वरी राज्य-दायिनी राज्य-वल्लभा ।
राजत्कृपा राजपीठ-निवेशित-निजाश्रिता ॥ १३४॥

राज्यलक्ष्मीः कोशनाथा चतुरङ्ग-बलेश्वरी ।
साम्राज्य-दायिनी सत्यसन्धा सागरमेखला ॥ १३५॥

दीक्षिता दैत्यशमनी सर्वलोक-वशङ्करी ।
सर्वार्थदात्री सावित्री सच्चिदानन्द-रूपिणी ॥ १३६॥

देश-कालापरिच्छिन्ना सर्वगा सर्वमोहिनी ।
सरस्वती शास्त्रमयी गुहाम्बा गुह्यरूपिणी ॥ १३७॥

सर्वोपाधि-विनिर्मुक्ता सदाशिव-पतिव्रता ।
सम्प्रदायेश्वरी साध्वी गुरुमण्डल-रूपिणी ॥ १३८॥

कुलोत्तीर्णा भगाराध्या माया मधुमती मही ।
गणाम्बा गुह्यकाराध्या कोमलाङ्गी गुरुप्रिया ॥ १३९॥

स्वतन्त्रा सर्वतन्त्रेशी दक्षिणामूर्ति-रूपिणी ।
सनकादि-समाराध्या शिवज्ञान-प्रदायिनी ॥ १४०॥

चित्कलाऽऽनन्द-कलिका प्रेमरूपा प्रियङ्करी ।
नामपारायण-प्रीता नन्दिविद्या नटेश्वरी ॥ १४१॥

मिथ्या-जगदधिष्ठाना मुक्तिदा मुक्तिरूपिणी ।
लास्यप्रिया लयकरी लज्जा रम्भादिवन्दिता ॥ १४२॥

भवदाव-सुधावृष्टिः पापारण्य-दवानला ।
दौर्भाग्य-तूलवातूला जराध्वान्त-रविप्रभा ॥ १४३॥

भाग्याब्धि-चन्द्रिका भक्त-चित्तकेकि-घनाघना ।
रोगपर्वत-दम्भोलिर् मृत्युदारु-कुठारिका ॥ १४४॥

महेश्वरी महाकाली महाग्रासा महाशना ।
अपर्णा चण्डिका चण्डमुण्डासुर-निषूदिनी ॥ १४५॥

क्षराक्षरात्मिका सर्व-लोकेशी विश्वधारिणी ।
त्रिवर्गदात्री सुभगा त्र्यम्बका त्रिगुणात्मिका ॥ १४६॥

स्वर्गापवर्गदा शुद्धा जपापुष्प-निभाकृतिः ।
ओजोवती द्युतिधरा यज्ञरूपा प्रियव्रता ॥ १४७॥

दुराराध्या दुराधर्षा पाटली-कुसुम-प्रिया ।
महती मेरुनिलया मन्दार-कुसुम-प्रिया ॥ १४८॥

वीराराध्या विराड्रूपा विरजा विश्वतोमुखी ।
प्रत्यग्रूपा पराकाशा प्राणदा प्राणरूपिणी ॥ १४९॥

मार्ताण्ड-भैरवाराध्या मन्त्रिणीन्यस्त-राज्यधूः ।
त्रिपुरेशी जयत्सेना निस्त्रैगुण्या परापरा ॥ १५०॥

सत्य-ज्ञानानन्द-रूपा सामरस्य-परायणा ।
कपर्दिनी कलामाला कामधुक् कामरूपिणी ॥ १५१॥

कलानिधिः काव्यकला रसज्ञा रसशेवधिः ।
पुष्टा पुरातना पूज्या पुष्करा पुष्करेक्षणा ॥ १५२॥

परंज्योतिः परंधाम परमाणुः परात्परा ।
पाशहस्ता पाशहन्त्री परमन्त्र-विभेदिनी ॥ १५३॥

मूर्ताऽमूर्ताऽनित्यतृप्ता मुनिमानस-हंसिका ।
सत्यव्रता सत्यरूपा सर्वान्तर्यामिनी सती ॥ १५४॥

ब्रह्माणी ब्रह्मजननी बहुरूपा बुधार्चिता ।
प्रसवित्री प्रचण्डाऽऽज्ञा प्रतिष्ठा प्रकटाकृतिः ॥ १५५॥

प्राणेश्वरी प्राणदात्री पञ्चाशत्पीठ-रूपिणी ।
विश‍ृङ्खला विविक्तस्था वीरमाता वियत्प्रसूः ॥ १५६॥

मुकुन्दा मुक्तिनिलया मूलविग्रह-रूपिणी ।
भावज्ञा भवरोगघ्नी भवचक्र-प्रवर्तिनी ॥ १५७॥

छन्दःसारा शास्त्रसारा मन्त्रसारा तलोदरी ।
उदारकीर्तिर् उद्दामवैभवा वर्णरूपिणी ॥ १५८॥

जन्ममृत्यु-जरातप्त-जनविश्रान्ति-दायिनी ।
सर्वोपनिष-दुद्-घुष्टा शान्त्यतीत-कलात्मिका ॥ १५९॥

गम्भीरा गगनान्तस्था गर्विता गानलोलुपा ।
कल्पना-रहिता काष्ठाऽकान्ता कान्तार्ध-विग्रहा ॥ १६०॥

कार्यकारण-निर्मुक्ता कामकेलि-तरङ्गिता ।
कनत्कनकता-टङ्का लीला-विग्रह-धारिणी ॥ १६१॥

अजा क्षयविनिर्मुक्ता मुग्धा क्षिप्र-प्रसादिनी ।
अन्तर्मुख-समाराध्या बहिर्मुख-सुदुर्लभा ॥ १६२॥

त्रयी त्रिवर्गनिलया त्रिस्था त्रिपुरमालिनी ।
निरामया निरालम्बा स्वात्मारामा सुधासृतिः ॥ १६३॥

संसारपङ्क-निर्मग्न-समुद्धरण-पण्डिता ।
यज्ञप्रिया यज्ञकर्त्री यजमान-स्वरूपिणी ॥ १६४॥

धर्माधारा धनाध्यक्षा धनधान्य-विवर्धिनी ।
विप्रप्रिया विप्ररूपा विश्वभ्रमण-कारिणी ॥ १६५॥

विश्वग्रासा विद्रुमाभा वैष्णवी विष्णुरूपिणी ।
अयोनिर् योनिनिलया कूटस्था कुलरूपिणी ॥ १६६॥

वीरगोष्ठीप्रिया वीरा नैष्कर्म्या नादरूपिणी ।
विज्ञानकलना कल्या विदग्धा बैन्दवासना ॥ १६७॥

तत्त्वाधिका तत्त्वमयी तत्त्वमर्थ-स्वरूपिणी ।
सामगानप्रिया सौम्या सदाशिव-कुटुम्बिनी ॥ १६८॥

सव्यापसव्य-मार्गस्था सर्वापद्विनिवारिणी ।
स्वस्था स्वभावमधुरा धीरा धीरसमर्चिता ॥ १६९॥

चैतन्यार्घ्य-समाराध्या चैतन्य-कुसुमप्रिया ।
सदोदिता सदातुष्टा तरुणादित्य-पाटला ॥ १७०॥

दक्षिणा-दक्षिणाराध्या दरस्मेर-मुखाम्बुजा ।
कौलिनी-केवलाऽनर्घ्य-कैवल्य-पददायिनी ॥ १७१॥

स्तोत्रप्रिया स्तुतिमती श्रुति-संस्तुत-वैभवा ।
मनस्विनी मानवती महेशी मङ्गलाकृतिः ॥ १७२॥

विश्वमाता जगद्धात्री विशालाक्षी विरागिणी ।
प्रगल्भा परमोदारा परामोदा मनोमयी ॥ १७३॥

व्योमकेशी विमानस्था वज्रिणी वामकेश्वरी ।
पञ्चयज्ञ-प्रिया पञ्च-प्रेत-मञ्चाधिशायिनी ॥ १७४॥

पञ्चमी पञ्चभूतेशी पञ्च-संख्योपचारिणी ।
शाश्वती शाश्वतैश्वर्या शर्मदा शम्भुमोहिनी ॥ १७५॥

धराधरसुता धन्या धर्मिणी धर्मवर्धिनी ।
लोकातीता गुणातीता सर्वातीता शमात्मिका ॥ १७६॥

बन्धूक-कुसुमप्रख्या बाला लीलाविनोदिनी ।
सुमङ्गली सुखकरी सुवेषाढ्या सुवासिनी ॥ १७७॥

सुवासिन्यर्चन-प्रीताऽऽशोभना शुद्धमानसा ।
बिन्दु-तर्पण-सन्तुष्टा पूर्वजा त्रिपुराम्बिका ॥ १७८॥

दशमुद्रा-समाराध्या त्रिपुराश्री-वशङ्करी ।
ज्ञानमुद्रा ज्ञानगम्या ज्ञानज्ञेय-स्वरूपिणी ॥ १७९॥

योनिमुद्रा त्रिखण्डेशी त्रिगुणाम्बा त्रिकोणगा ।
अनघाऽद्भुत-चारित्रा वाञ्छितार्थ-प्रदायिनी ॥ १८०॥

अभ्यासातिशय-ज्ञाता षडध्वातीत-रूपिणी ।
अव्याज-करुणा-मूर्तिर् अज्ञान-ध्वान्त-दीपिका ॥ १८१॥

आबाल-गोप-विदिता सर्वानुल्लङ्घ्य-शासना ।
श्रीचक्रराज-निलया श्रीमत्-त्रिपुरसुन्दरी ॥ १८२॥

श्रीशिवा शिव-शक्त्यैक्य-रूपिणी ललिताम्बिका ।
एवं श्रीललिता देव्या नाम्नां साहस्रकं जगुः ॥

॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे उत्तरखण्डे श्रीहयग्रीवागस्त्यसंवादे
श्रीललिता सहस्रनाम स्तोत्र कथनं सम्पूर्णम् ॥

Lalitha sahasranamam Lyrics in Hindi

श्री ललिता सहस्रनाम का महत्व

श्री ललिता सहस्रनाम को तीन भागों में विभाजित किया गया है:Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi

भाग का नामविवरण
पूर्व भागसहस्रनाम की उत्पत्ति और इसकी महत्ता का वर्णन
स्तोत्रदेवी के एक हजार नामों का संकलन
उत्तर भागसहस्रनाम जाप के लाभ और फलश्रुति का वर्णन

इन नामों में देवी के अनेक गुण, शक्तियाँ और स्वरूप प्रकट होते हैं, जो साधक के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप 
Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप 
DetailInformation
TitleShri Lalitha Sahasranamam
LanguageSanskrit / Hindi
GenreDevotional, Stotra
FormSahasranamam (1000 names)
Dedicated toGoddess Lalita Tripura Sundari
SourceBrahmanda Purana
Lyrics Available InHindi, Sanskrit
Published OnLyricsWaale.com
PurposeBhakti, Shanti, Spiritual Upliftment

श्री ललिता सहस्रनाम के लाभ

Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi

  • आध्यात्मिक लाभ – यह स्तोत्र साधक को आत्मिक शक्ति और साधना में दृढ़ता प्रदान करता है
  • मानसिक शांति – नियमित पाठ से मन में शांति और संतुलन आता है
  • रोगों से मुक्ति – कहा जाता है कि यह पाठ मानसिक और शारीरिक रोगों में राहत देता है
  • सकारात्मक ऊर्जा – देवी के नामों का उच्चारण जीवन में ऊर्जा और आत्मविश्वास को बढ़ाता है
Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप 
Lalitha Sahasranamam Lyrics in Hindi | श्री ललिता सहस्रनाम – देवी के 1000 नामों का पवित्र जाप 

वीडियो स्रोत

आप श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र को इस YouTube वीडियो के माध्यम से सुन सकते हैं।

निष्कर्ष

श्री ललिता सहस्रनाम एक दिव्य स्तोत्र है जो साधक को माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी के चरणों में समर्पण, भक्ति और ज्ञान प्रदान करता है। यदि आप अध्यात्म में रुचि रखते हैं या शांति की खोज में हैं, तो यह स्तोत्र आपके लिए मार्गदर्शक हो सकता है।

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श्री ललिता सहस्रनाम क्या है?

श्री ललिता सहस्रनाम एक दिव्य स्तोत्र है जिसमें देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी के एक हजार नामों का वर्णन है। यह स्तोत्र ब्रह्माण्ड पुराण का हिस्सा है और शक्ति उपासना में अत्यंत पूज्य माना जाता है।

श्री ललिता सहस्रनाम का पाठ कब करना चाहिए?

इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, विशेषकर ब्रह्ममुहूर्त में (सुबह 4 से 6 बजे के बीच)। नवरात्रि, शुक्रवार, पूर्णिमा एवं विशेष देवी उपासना के दिनों में इसका पाठ अधिक फलदायी होता है।

क्या इसका पाठ करने के लिए किसी विशेष विधि की आवश्यकता है?

यद्यपि पारंपरिक रूप से न्यास, ध्यान और मंत्रोच्चारण के साथ किया जाता है, फिर भी भक्ति भाव से किसी भी समय इसका पाठ किया जा सकता है। शुद्ध मन और श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण हैं।

ललिता सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

इससे मानसिक शांति, आध्यात्मिक बल, स्वास्थ्य लाभ और देवी की कृपा प्राप्त होती है। यह साधक को जीवन के हर क्षेत्र में ऊर्जा, सकारात्मकता और प्रगति प्रदान करता है।

क्या यह स्तोत्र केवल महिलाओं द्वारा ही पढ़ा जा सकता है?

नहीं, यह स्तोत्र सभी के लिए समान रूप से उपयोगी है – स्त्री, पुरुष, गृहस्थ, साधक या विद्यार्थी। बस श्रद्धा और नियमितता आवश्यक है।

क्या इसका पाठ हिंदी में भी किया जा सकता है?

हाँ, यदि आप संस्कृत में सहज नहीं हैं तो हिंदी में अर्थ सहित पाठ करना भी उतना ही लाभदायक है। मुख्य बात है उच्चारण में निष्ठा और भावना।

क्या श्री ललिता सहस्रनाम का पाठ करने से जीवन में शांति आती है?

हाँ, यह स्तोत्र मानसिक संतुलन, आत्मिक उन्नति और पारिवारिक शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

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