Aigiri Nandini Lyrics in Hindi | महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
aigiri nandini lyrics in hindi, Welcome to LyricsWaale.com – your destination for powerful devotional lyrics with deep spiritual meaning. Today, we bring you the revered “Aigiri Nandini” also known as Mahishasura Mardini Stotram, a devotional hymn dedicated to Goddess Durga. This ancient Sanskrit stotra is filled with divine energy, praising the goddess for slaying the demon Mahishasura and restoring dharma.
“Aigiri Nandini” is not just a lyrical composition but a spiritual experience that invokes strength, courage, and divine protection. Below, you will find the full lyrics in Hindi with detailed meanings for better understanding and devotion.
Aigiri Nandini Lyrics in Hindi with Meaning
अयिगिरि नन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥
अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदङ्ग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥
जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥
अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते
श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।
सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥
सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।
शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥
अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते
त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।
अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥
करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।
निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥
कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे
जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥
विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।
तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥
कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्
भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।
तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।
मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥
अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।
यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥
यह रहा “अयि गिरिनन्दिनि” (महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्) का हिंदी अनुवाद, प्रत्येक श्लोक के बाद अर्थ सहित:
Table of Contents
1.
गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते…
हिंदी अर्थ:
हे पर्वतराज की कन्या, जो समस्त पृथ्वी को आनंदित करती हैं, जो विश्व का मनोरंजन करती हैं, जिनकी नंदा देवी पूजन करती हैं,
जो विंध्याचल पर्वत पर निवास करती हैं, विष्णु की लीलाओं में रमण करती हैं और इंद्रादि देवताओं से वंदनीय हैं।
हे शिवजी की प्रिया, आपके विशाल कुल हैं, और आप महान कार्यों को करती हैं।
आपको नमस्कार हे महिषासुरमर्दिनी, रमणीय जटाधारी, पर्वतपुत्री!
2.
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते…
हिंदी अर्थ:
हे देवताओं पर कृपा करनेवाली, कठिन संकटों को हरनेवाली, दुष्टों को दंड देनेवाली,
त्रिभुवन की रक्षा करनेवाली, शंकर को प्रसन्न करनेवाली, पापों को दूर करनेवाली।
दैत्यों पर क्रोध करनेवाली, दिति के पुत्रों का विनाश करनेवाली, अहंकारी राक्षसों को नष्ट करनेवाली, समुद्र की पुत्री!
आपको बारम्बार नमस्कार हे महिषासुरमर्दिनी!
Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
3.
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते…
हिंदी अर्थ:
हे जगज्जननी, मेरी माता, कदंब वनों में निवास करनेवाली, जिनकी मुस्कान मोहक है,
जो हिमालय पर्वत के शिखर पर स्थित हैं, मधुर मधु और मधुकैटभ राक्षसों का संहार करनेवाली हैं।
आप रास में रमण करती हैं।
आपको बारम्बार प्रणाम हे महिषासुरमर्दिनी!
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् (श्लोक ४-१०)
(Mahishasura Mardini Stotram Verses 4 to 10 with Hindi Meanings)Aigiri Nandini Lyrics in Hindi

श्लोक ४
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपने शत्रुओं के हाथियों के मस्तक और सूंड को खण्ड-खण्ड कर दिया, आपने शत्रुओं के गर्व को चूर्ण किया। आपने अपने भुजबल से उनके सेनापतियों के सिर काट डाले। हे महिषासुरमर्दिनि, हे रम्य जटाधारी, हे पर्वतराज की पुत्री, आपकी जय हो!
श्लोक ५
अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आप युद्ध में अहंकारी शत्रुओं का संहार करने वाली हैं। आप अमोघ शक्ति से युक्त हैं, और महाशिव के विचारशील प्रतिनिधि प्रमथगणों की अधिष्ठात्री हैं। आप दुष्टों, दुराचारी दानवों का अंत करने वाली हैं। हे शैलपुत्री, आपकी जय हो!
श्लोक ६
अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।
दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! जो आपके शरण में आते हैं, उन्हें आप शत्रुओं से सुरक्षा और निर्भयता प्रदान करती हैं। आप त्रिभुवन के विरोधियों के सिर पर त्रिशूल चलाती हैं और उन्हें नष्ट करती हैं। आपके विजय घोष से दिशाएं गूंज उठती हैं। हे महिषासुरमर्दिनी, आपकी जय हो!
श्लोक ७
अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपने केवल अपने हुँकार से ही धूम्रलोचन नामक राक्षस को भस्म कर दिया। आपने रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न बीजों को युद्ध में नष्ट कर दिया। शुम्भ-निशुम्भ जैसे महान असुरों का वध कर आपने भूत-प्रेतों को तृप्त किया। आपकी जय हो!
श्लोक ८
धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।
कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपने युद्धभूमि में अपने धनुष-बाणों से दुश्मनों को हरा दिया। आपके सुनहरे धनुष से बाण निकलते हैं जो युद्ध में दुश्मनों की सेना को नष्ट करते हैं। आप चारों दिशाओं में फैले शत्रुबल को परास्त कर विजय प्राप्त करती हैं। आपकी जय हो!
श्लोक ९
सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदङ्ग निनादरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! देवांगनाएं आपके विजय गीत गा रही हैं और नृत्य में मग्न हैं। विविध वाद्य यंत्रों की ध्वनि से वातावरण गूंज रहा है। मृदंग, ढोल, ताल की ध्वनि से सारा ब्रह्मांड आपके उत्सव में लीन हो गया है। आपकी जय हो!
श्लोक १०
जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपकी जय-जयकार हर दिशा में हो रही है। आपके नूपुरों की झंकार से देवता और गंधर्व मोहित हो जाते हैं। आप स्वयं महान नर्तकी और संगीत की प्रेमी हैं। आप नृत्य और संगीत के माध्यम से ब्रह्मांड को आनंदित करती हैं। आपकी जय हो!
यह रहा महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् के श्लोक 11 से 20 तक का पाठ, संस्कृत में मूल श्लोक के साथ प्रत्येक श्लोक का सरल और भावानुवाद सहित हिन्दी अर्थ, आपके वेबसाइट LyricsWaale.com के लिए SEO फ्रेंडली तरीके से:
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् (श्लोक ११-२०) संस्कृत में अर्थ सहित Aigiri Nandini Lyrics in Hindi

श्लोक ११
अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहरकान्तियते
श्रितरजनी रजनी रजनी रजनी रजनीकरवक्त्रवृते ।
सुनयनविभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपकी शोभा अनेक सुंदर पुष्पों के समान है। आपकी आभा चंद्रमा से प्रकाशित रात्रि जैसी है। आपकी सुंदर आंखें भ्रमर के समान चंचल हैं। हे शैलपुत्री! आपकी जय हो!
श्लोक १२
सहसितनास पुरासमरस्थल हतबहुदैत्य महाहवने
कृतरनकणक तनुतरगण रतनसुतनवरोदयशोभितने ।
विजितसहस्रकरैकसहस्रकरैकसहस्रकरैकनुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपने युद्धभूमि में असंख्य दैत्यों का वध कर विजयी होकर स्वर्णाभूषणों से सुसज्जित शरीर से शोभा प्राप्त की है। सहस्त्रबाहु इंद्र और अन्य देवताओं ने भी आपकी आराधना की है। आपकी जय हो!
श्लोक १३
कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते
सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधिसुजातरते ।
भुजतरमङ्गरदङ्गनमङ्गल सङ्गपरिस्फुरदङ्घ्रिवते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपने तारकासुर के पुत्र (तारकाक्ष, शूम्भ, निशुम्भ आदि) का नाश किया। आपने सुरथ और समाधि जैसे भक्तों को मुक्ति दी। आपके चरणों की गति मंगलमयी है। आपकी जय हो!
श्लोक १४
सुरनरमुनिजनमोहनरञ्जनमित्रमहाशिवरावृते
घनकनकाचलमौलिमणिस्फुरणीकृत फालमुख चन्द्ररुचे ।
जडविदुषीविमुखाधिमुखाधिकधूधृतशुद्धकपोलवटे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आप देव, मुनियों और साधकों को मोहित करती हैं और शिवजी की प्रिय हैं। आपके ललाट पर चंद्रकलायुक्त तेज है, जो स्वर्ण पर्वत जैसे मुकुट से प्रकाशित होता है। आपके कपोल निर्मल हैं। आपकी जय हो!
श्लोक १५
सकलसुरासुरदेवनदानव लोकमुखानुसृता पदवीम्
भुजगविभूषणमौलिविभूषणमौलिकृतालयराजसुते ।
सजनतरोरिव सत्पयसार्णव रञ्जितमेदसमत्पदवे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! सभी देव, असुर और ऋषि-मुनि आपके मार्ग का अनुसरण करते हैं। आपके गले में नाग आभूषण हैं, और आप पर्वतराज की पुत्री हैं। आप जैसे तरु (वृक्ष) को सज्जन सरोवर का अमृत सिंचन मिल गया हो, वैसी सुंदरता से युक्त हैं। आपकी जय हो!
श्लोक १६
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
दययिव ते यदुपार्जितवञ्चितभावन पुष्टपुरा कृपये ।
स पुरतनो न नवो न पश्च नवोनतिरस्कृतमुन्नतसे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे करुणामयी देवी! जो व्यक्ति प्रतिदिन आपके चरणकमलों की उपासना करता है, आपकी कृपा से उसे वह सब प्राप्त होता है, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। आप सब पुराने और नए उपासकों को समान दृष्टि से देखती हैं। आपकी जय हो!
श्लोक १७
जय जय हे जगदम्बरि का बहुशब्दितमातृक वाक्यनुते
त्रिभुवनपावनपुण्यकथाश्रुतितत्वसुवर्णवचोभवते ।
सुरगणवृन्दविभूतिविदूषितवैरिवधोदितदूतिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे जगतजननी! आपको मातृकावर्णों की वाणी से स्तुति की जाती है। आपकी कथा त्रिभुवन को पवित्र करने वाली है और वह स्वर्णमयी सत्यवाणी है। आपने दैत्यों के नाश के लिए दूतों को भेजा। आपकी जय हो!
श्लोक १८
जय जय हे मधुकैटभभञ्जिनि कायकलापिनि रासरते
जय जय महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।
जय जय दुर्गतिनाशिनि दीनदयालु कृपालय सन्मतिदे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपने मधु-कैटभ नामक राक्षसों का वध किया। आप नृत्य और क्रीड़ा में रमण करने वाली हैं। आप दुखों का नाश करती हैं, दीनों पर दया करती हैं, और शुभ बुद्धि प्रदान करती हैं। आपकी बार-बार जय हो!
श्लोक १९
जय जय भगवति देवि भवानि भवोद्भवमुक्तिनमस्तुदते
जय जय भवसागर तारणकारिणि दु:खनिवारिणि सुखप्रदे ।
जय जय जय जय कात्यायनि त्रिपुरान्तक हे शिवसन्नुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे भगवति! हे भवानी! आपको भक्ति, मोक्ष और भवरोग से मुक्त करने वाली देवी के रूप में नमस्कार है। आप भवसागर से पार लगाती हैं, दुःखों का निवारण करती हैं और सुख प्रदान करती हैं। कात्यायनी देवी, आपकी बार-बार जय हो!
श्लोक २०
जयति जयति सुरेश्वरि विश्वधरे त्रिगुणमयी गुणवर्णितगर्वितये ।
सकृदिव नमतो नततापहर त्रिपुरवधु त्रिपुरान्तकसन्नुते ॥ २० ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आप त्रिगुणों (सत्त्व, रज, तम) से युक्त हैं और आपके गुणों का वर्णन देवगण भी करते हैं। जो एक बार भी आपका स्मरण करता है, उसके सारे दुःख दूर हो जाते हैं। आप त्रिपुरासुर की वधिनी हैं। आपकी जय हो!
श्लोक २१
जय जय जप्यजयेजयशब्दपरस्तुति तत्परविश्वनुते
झणझणझिञ्झिमिझिंकृतनूपुरशीरणिबद्धृतभूतपते ।
नटनटनायकनाटकनायकनाटकनायकराजसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥
हिन्दी अर्थ:
हे देवी! आपकी स्तुति में किए गए जप और जय-जयकार से सम्पूर्ण ब्रह्मांड गुंजायमान होता है। आपके पायलों की झंकार से दिशाएं गूंजती हैं। आप इस विश्व रूपी नाट्य की नायिका हैं और नटराज की सखी हैं। आपकी जय हो!

Song Details Table
Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
विवरण | जानकारी |
---|---|
स्तोत्र शीर्षक | अयि गिरिनन्दिनि / महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र |
भाषा | संस्कृत (अनुवाद: हिंदी) |
समर्पित देवी | माँ दुर्गा (महिषासुर मर्दिनी) |
लेखक (प्रचलित) | आदि शंकराचार्य (अनुमानित) |
पाठ का लाभ | शक्ति, साहस, विजय की प्राप्ति |
पाठ का समय | नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, एवं प्रतिदिन |
Song Meaning & Significance
“Aigiri Nandini” glorifies the many divine forms of Goddess Durga and her battles against evil forces. The hymn captures the immense strength of the goddess and reminds devotees of the victory of good over evil. Each verse speaks of her various divine attributes, her destructive power against demons, and her nurturing aspect for devotees.Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
Regular chanting of this stotra is believed to remove fear, bring inner strength, and foster divine grace in one’s life.Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
Mahishasura Mardini Stotram with lyrics, available on YouTube:
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This video features the powerful hymn dedicated to Goddess Durga, celebrating her victory over the demon Mahishasura. The lyrics are displayed on-screen, making it easy to follow along.Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
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What is “Aigiri Nandini”?
“Aigiri Nandini” is a Sanskrit stotra also known as “Mahishasura Mardini Stotram,” dedicated to Goddess Durga, celebrating her victory over Mahishasura.Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
Who composed the Mahishasura Mardini Stotram?
It is traditionally attributed to Adi Shankaracharya, though the exact authorship remains uncertain.
Why is this hymn considered powerful?
The stotra describes various victories of Goddess Durga over demons and invokes divine energy. It is believed to bestow courage, strength, and protection.Aigiri Nandini Lyrics in Hindi
When should one recite this stotra?
It is ideal to recite it during Navratri, on Durga Ashtami, or daily for spiritual upliftment.
Where can I listen to the official audio or watch the video?
You can listen to the stotra on YouTube by searching “Aigiri Nandini With Lyrics”