Varanasi Natham Lyrics in Hindi – बनारस की आत्मा से जुड़ा भक्ति गीत

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Varanasi Natham Lyrics in Hindi

Varanasi Natham Lyrics in Hindi – बनारस की आत्मा से जुड़ा भक्ति गीत “Varanasi Natham एक अद्वितीय भक्ति गीत है जो काशी विश्वनाथ की महिमा का गुणगान करता है। यह गीत बनारस की आध्यात्मिक शक्ति, घाटों की पवित्रता और भगवान शिव की शाश्वत उपस्थिति का प्रतीक है। संस्कृत में लिखे गए इस गीत में शिव की आराधना और वाराणसी की दिव्यता का गूढ़ वर्णन किया गया है।

यह भजन खास तौर पर ध्यान, मेडिटेशन और शिव-आराधना में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी ध्वनि में वाराणसी की आत्मा बसती है।

गीत की जानकारी – Varanasi Natham Details Table

Varanasi Natham Lyrics in Hindi

विवरणजानकारी
गानाVaranasi Natham
भाषासंस्कृत (हिंदी अनुवाद सहित)
शैलीभक्ति गीत, ध्यान संगीत
समर्पितकाशी विश्वनाथ (भगवान शिव)
संगीतकारपारंपरिक/Various Classical Artists
गायकविभिन्न भक्ति गायकों द्वारा गाया गया
लेबलसंस्कृतिक चैनलों, YouTube भक्ति प्लेटफ़ॉर्म्स
प्रयोगध्यान, आरती, मंदिर आराधना
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Varanasi Natham Lyrics in Sanskrit with Hindi Meaning

Varanasi Natham Lyrics in Hindi

Sanskrit:

वराणस्यां नाथं शरणं प्रपद्ये
विश्वेशं जगन्नाथं नीलकण्ठं शिवप्रियम्।
काशीपुरी वासिनं चन्द्रशेखर पादुकम्॥

Hindi Translation:

मैं वाराणसी के नाथ (भगवान शिव) की शरण में आता हूँ।
जो विश्वेश्वर हैं, जगन्नाथ हैं, नीलकंठ हैं और जिनको शिव अत्यंत प्रिय हैं।
जो काशीपुरी में वास करते हैं और जिनके सिर पर चंद्र है।

वाराणसी नाथं स्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित

Varanasi Natham Lyrics in Hindi

श्लोक 1

वाराणसीनाथमनाथनाथं
सर्वार्थसिद्धिप्रदमीशमीढे।
दीनार्तिभञ्जं विशदं वरेण्यम्
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
मैं उन श्री विश्वनाथ भगवान की शरण लेता हूँ, जो वाराणसी के स्वामी हैं, जो अनाथों के भी नाथ हैं, सब प्रकार की सिद्धियाँ देने वाले हैं, दीनों और दुखियों के कष्टों को हरने वाले हैं, तथा अत्यंत पवित्र और वरेण्य (पूजनीय) हैं।


श्लोक 2

गङ्गाधरं वामनभक्तवल्लभं
कालान्तकं कालसुतप्रमोदम्।
रक्षःप्रणाशं सुविशुद्धवेषं
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
जो अपने मस्तक पर गंगा धारण करते हैं, जो वामन भगवान के भक्तों को प्रिय हैं, जो यमराज (काल) का भी अंत कर सकते हैं, जो यमराज के लिए भी आनंद का कारण हैं, जो राक्षसों का नाश करते हैं और जिनका स्वरूप अत्यंत पवित्र है — ऐसे श्री विश्वनाथ की मैं शरण लेता हूँ।


श्लोक 3

वीरप्रियो वीरवरेश्वरं च
भक्तप्रियो भक्तजनानुकूलम्।
त्रैलोक्यनाथं त्रिपुरान्तकं च
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
जो वीरों के प्रिय हैं, जो वीरों के स्वामी हैं, जो भक्तों को अत्यंत प्रिय हैं और उनके लिए सदा कृपालु रहते हैं, जो तीनों लोकों के स्वामी हैं और त्रिपुरासुर का संहार करने वाले हैं — उन विश्वनाथ भगवान की मैं शरण लेता हूँ।


श्लोक 4

नीलालकं नीलवपुं त्रिनेत्रं
पाशाङ्कुशाभीतिवरं दधानम्।
नागेन्द्रहारं भुजगाङ्गनाढ्यं
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
जिनकी जटाएँ नीलवर्ण की हैं, शरीर भी नीलवर्ण का है, जिनकी तीन आँखें हैं, जो अपने हाथों में पाश, अंकुश, अभय और वर मुद्रा धारण करते हैं, जो सर्पों की माला पहने हुए हैं — ऐसे विश्वनाथ की मैं शरण लेता हूँ।


श्लोक 5

सूर्याय चन्द्राय गणेश्वराय
भूताय भव्याय भवोद्भवाय।
कालाय कालाय महेश्वराय
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
जो सूर्य और चंद्र के समान प्रकाशमान हैं, जो गणों के स्वामी हैं, जो भूत, वर्तमान और भविष्य के ज्ञाता और रचयिता हैं, जो काल के भी काल हैं, जो महेश्वर हैं — उन श्री विश्वनाथ की मैं शरण लेता हूँ।


श्लोक 6

पञ्चानने पञ्चभुतेश्वराय
पञ्चाक्षराय स्मृतिगम्याय नित्यं।
चिद्रूपिणे तापहराय देवं
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
जिनके पाँच मुख हैं, जो पाँच महाभूतों के स्वामी हैं (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश), जो ‘ॐ नमः शिवाय’ पंचाक्षर मंत्र के अधिष्ठाता हैं, जो स्मरण मात्र से प्राप्त होते हैं, जो चैतन्य स्वरूप और ताप (दुखों) के नाशक हैं — उन शिव की मैं शरण लेता हूँ।


श्लोक 7

श्मशानवासी मृगधारिलोचनं
सर्वाङ्गभूतं भुजगाभरण्यम्।
सोमनाथं भीतिहरं कृपालुं
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
जो श्मशान में वास करते हैं, जिनकी आँखों में मृग की कोमल दृष्टि है, जिनका सम्पूर्ण शरीर पंचमहाभूतों से बना है, जो सर्पों के आभूषण पहनते हैं, जो चंद्रमा के स्वामी हैं, जो भय को हरने वाले और अत्यंत कृपालु हैं — उन विश्वनाथ की मैं शरण लेता हूँ।


श्लोक 8

शर्वं मृडं रुद्रपिनाकपाणिं
सदा शिवं शङ्करमीशमीडे।
वसिष्ठनाथं कमलासनं च
श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ:
मैं उन भगवान विश्वनाथ की शरण लेता हूँ, जो शर्व हैं (सर्व को हरने वाले), मृड हैं (करुणामयी), रुद्र हैं (क्रोधयुक्त शक्ति), जिनके हाथ में पिनाक (धनुष) है, जो सदा शिव हैं, कल्याणस्वरूप शंकर हैं, वसिष्ठ, ब्रह्मा और सभी ऋषियों द्वारा वंदनीय हैं।

गीत का भावार्थ (Meaning in Hindi)

Varanasi Natham Lyrics in Hindi :

Varanasi Natham Lyrics in Hindi – यह स्तुति भगवान शिव के काशी रूप की महिमा का वर्णन करती है। इसमें कहा गया है कि वाराणसी केवल एक शहर नहीं, बल्कि स्वयं शिव का निवास है। यहाँ शिव की उपस्थिति शाश्वत है। यह गीत आत्मा को शांति देने वाला है और ध्यान की स्थिति में प्रवेश कराने में सहायक है।

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Varanasi Natham किसे समर्पित है?

यह गीत काशी विश्वनाथ (भगवान शिव) को समर्पित है।

यह गीत किस भाषा में है?

संस्कृत में, साथ ही हिंदी अनुवाद में भी उपलब्ध है।

इस भजन का उपयोग कहां होता है?

ध्यान, आरती, मंदिर आराधना और मेडिटेशन में।

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